यदि कोई व्यक्ति उनके मरे शरीर को उठाता है तो उस व्यक्तति को अपने वस्त्र धोने चाहिए। वह व्यक्ति सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। वे जानवर तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं।
“यदि किसी घिनौने जानवरों में से कोई मरा हुआ जानवर किसी चीज़ पर गिरे तो वह चीज़ अशुद्ध हो जाएगी। यह लकड़ी, चमड़ा, कपड़ा, शोक वस्त्र या कोई भी औजार हो सकात है। जो कुछ भी वह हो उसे पानी से धोना चाहिए। यह सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। तब यह फिर शुद्ध हो जाएगा।
और उस व्यक्ति को अपने वस्त्र धोने चाहिए। जो उस मृत जानवर के शरीर का माँस खाए। वह व्यक्ति सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। जो व्यक्ति मरे जानवर के शरीर को उठाएगा उसे भी अपने वस्त्रों को धोना चाहिए। यह व्यक्ति सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा।
यदि कोई व्यक्ति उन चीज़ों को छूएगा तो वह सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। उस व्यक्ति को पवित्र भोजन में से कुछ भी नहीं खाना चाहिए। पानी डालकर नहाये बिना वह पवित्र भोजन नहीं कर सकता है।
“वह व्यक्ति, जिसने गाय की राख को इकट्ठा किया, अपने कपड़े धोएगा। वह सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। “यह नियम सदा चलता रहेगा। यह नियम इस्राएल के नागरिकों के लिए है और यह उन विदेशियों के लिए भी है जो तुम्हारे बीच रहते हैं।
“तब कोई शुद्ध व्यक्ति इस जल को अशुद्ध व्यक्ति पर तीसरे दिन और फिर सातवें दिन छिड़के। सातवें दिन वह व्यक्ति शुद्ध हो जाता है। उसे अपने कपड़ों को पानी में धोना चाहिए। वह संध्या के समय पवित्र हो जाता है।
यह नियम तुम्हारे लिए सदा के लिए होगा। जो व्यक्ति इस विशेष जल को छिड़कता है, उसे भी अपने कपड़े अवश्य धो लेने चाहिए। कोई व्यक्ति जो इस विशेष जल को छुएगा, वह संध्या तक अशुद्ध रहेगा।