इसलिये सुबह होते ही रूपाई शुरू कर दो और दिन ढले तक काम मत रोको। क्योंकि तुम नहीं जानते कि कौन सी बात तुम्हें धनवान बना देगी। हो सकता है तुम जो कुछ करो सब में सफल हो।
लोग गेहूँ बोएंगे, किन्तु वे केवल काँटे ही काटेंगे। वे अत्याधिक थकने तक काम करेंगे, किन्तु वे अपने सारे कामों के बदले कुछ भी नहीं पाएंगे। वे अपनी फसल पर लज्जित होंगे। यहोवा के क्रोध ने यह सब कुछ किया।”
किन्तु तुमने तो बदी का बीज बोया है और विपत्ति की फसल काटी है। तुमने अपने झूठ का फल भोगा है। ऐसा इसलिये हुआ कि तुमने अपनी शक्ति और अपने सैनिकों पर विश्वास किया।
इस्राएल के लोगों ने एक ऐसा काम किया जो मूर्खता से भरा था। वह ऐसा काम था जैसे कोई हवा को बोने लगे। किन्तु उनके हाथ बस विपत्तियाँ लगेंगी—वे केवल एक बवण्डर काट पायेंगे। खेतों के बीच में अनाज तो उगेगा नहीं, इससे वे भोजन नहीं पायेंगे, और यदि थोड़ा बहुत उग भी जाये तो उसको पराये खा जायेंगे।
और मेरे लिए जिसने भी घर-बार या भाईयों या बहनों या पिता या माता या बच्चों या खेतों को त्याग दिया है, वह सौ गुणा अधिक पायेगा और अनन्त जीवन का भी अधिकारी बनेगा।
किन्तु वह जो उस जल को पियेगा, जिसे मैं दूँगा, फिर कभी प्यासा नहीं रहेगा। बल्कि मेरा दिया हुआ जल उसके अन्तर में एक पानी के झरने का रूप ले लेगा जो उमड़-घुमड़ कर उसे अनन्त जीवन प्रदान करेगा।”
उस खाने के लिये परिश्रम मत करो जो सड़ जाता है बल्कि उसके लिये जतन करो जो सदा उत्तम बना रहता है और अनन्त जीवन देता है, जिसे तुम्हें मानव-पुत्र देगा। क्योंकि परमपिता परमेश्वर ने अपनी मोहर उसी पर लगायी है।”
अपने शरीर के अंगों को अधर्म की सेवा के लिए पाप के हवाले न करो बल्कि मरे हुओं में से जी उठने वालों के समान परमेश्वर के हवाले कर दो। और अपने शरीर के अंगों को धार्मिकता की सेवा के साधन के रूप में परमेश्वर के हवाले कर दो।
और यदि वह आत्मा जिसने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया था, तुम्हारे भीतर वास करती है, तो वह परमेश्वर जिस ने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया था, तुम्हारे नाशवान शरीरों को अपनी आत्मा से जो तुम्हारे ही भीतर बसती है, जीवन देगा।
और इसलिए तो मुझ पर दया की गयी। कि मसीह यीशु एक बड़े पापी के रूप में मेरा उपयोग करते हुए आगे चल कर जो लोग उसमें विश्वास ग्रहण करेंगे, उनके लिए अनन्त जीवन प्राप्ति के हेतु एक उदाहरण के रूप में मुझे स्थापित कर अपनी असीम सहनशीलता प्रदर्शित कर सके।
किन्तु ये लोग तो विचारहीन पशुओं के समान हैं जो अपनी सहजवृत्ति के अनुसार काम करते हैं। जिनका जन्म ही इसलिए होता है कि वे पकड़े जायें और मार डाले जायें। वे उन विषयों के विरोध में बोलते है, जिनके बारे में वे अबोध हैं। जैसे पशु मार डाले जाते हैं, वैसे ही इन्हें भी नष्ट कर दिया जायेगा।
जो बुरा करते चले आ रहे हैं, वे बुरा करते रहें। जो अपवित्र बने हुए हैं, वे अपवित्र ही बने रहें। जो धर्मी हैं, वे धर्मी ही बना रहे। जो पवित्र हैं वे पवित्र बना रहे।”