वहाँ कुछ समय बिताने के बाद उसने विदा ली और गलातिया एवम् फ्रूगिया के क्षेत्रों में एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा करते हुए सभी अनुयायिओं के विश्वास को बढ़ाने लगा।
इस प्रकार समूचे यहूदिया, गलील और सामरिया के कलीसिया का वह समय शांति से बीता। वह कलीसिया और अधिक शक्तिशाली होने लगी। क्योंकि वह प्रभु से डर कर अपना जीवन व्यतीत करती थी, और पवित्र आत्मा ने उसे और अधिक प्रोत्साहित किया था सो उसकी संख्या बढ़ने लगी।