“हे परम पिता। जो लोग तूने मुझे सौंपे हैं, मैं चाहता हूँ कि जहाँ मैं हूँ, वे भी मेरे साथ हों ताकि वे मेरी उस महिमा को देख सकें जो तूने मुझे दी है। क्योंकि सृष्टि की रचना से भी पहले तूने मुझसे प्रेम किया है।
और जो बातें यहाँ लिखी हैं, वे इसलिए हैं कि तुम विश्वास करो कि यीशु ही परमेश्वर का पुत्र, मसीह है। और इसलिये कि विश्वास करते हुए उसके नाम से तुम जीवन पाओ।
वह काया जो धरती में “दफनाई” गयी है, अनादरपूर्ण है किन्तु वह काया जिसका पुनरुत्थान हुआ है, महिमा से मंडित है। वह काया जिसे धरती में “गाड़ा” गया है, दुर्बल है किन्तु वह काया जिसे पुनर्जीवित किया गया है, शक्तिशाली है।
इसी से अब आगे मैं जीवित नहीं हूँ किन्तु मसीह मुझ में जीवित है। सो इस शरीर में अब मैं जिस जीवन को जी रहा हूँ, वह तो विश्वास पर टिका है। परमेश्वर के उस पुत्र के प्रति विश्वास पर जो मुझसे प्रेम करता था, और जिसने अपने आप को मेरे लिए अर्पित कर दिया।
उसके बाद हमें जो जीवित हैं, और अभी भी यहीं हैं उनके साथ ही हवा में प्रभु से मिलने के लिए बादलों के बीच ऊपर उठा लिए जायेंगे और इस प्रकार हम सदा के लिए प्रभु के साथ हो जायेंगे।
अब विजय मुकुट मेरी प्रतीक्षा में है। जो धार्मिक जीवन के लिये मिलना है। उस दिन न्यायकर्ता प्रभु मुझे विजय मुकुट पहनायेगा। न केवल मुझे, बल्कि उन सब को जो प्रेम के साथ उसके प्रकट होने की बाट जोहते रहे हैं।
सो वैसे ही मसीह को, एक ही बार अनेक व्यक्तियों के पापों को उठाने के लिए बलिदान कर दिया गया। और वह पापों को वहन करने के लिए नहीं, बल्कि जो उसकी बाट जोह रहे हैं, उनके लिए उद्धार लाने को फिर दूसरी बार प्रकट होगा।
हे प्रिय मित्रो, अब हम परमेश्वर की सन्तान हैं किन्तु भविष्य में हम क्या होंगे, अभी तक इसका बोध नहीं कराया गया है। जो भी हो, हम यह जानते हैं कि मसीह के पुनः प्रकट होने पर हम उसी के समान हो जायेंगे क्योंकि वह जैसा है, हम उसे ठीक वैसा ही देखेंगे।
“जिसके पास कान हैं, वह उसे सुने जो आत्मा कलीसियाओं से कह रहा है। जो विजय पाएगा मैं उसे परमेश्वर के उपवन में लगे जीवन के वृक्ष से फल खाने का अधिकार दूँगा।