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क्रॉस रेफरेंस
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एस्तेर 9:20

पवित्र बाइबल

जो कुछ घटा था, उसकी हर बात को मोर्दकै ने लिख लिया और फिर उसे महाराजा क्षयर्ष के सभी प्रांतों में बसे यहूदियों को एक पत्र के रूप में भेज दिया। दूर पास सब कहीं उसने पत्र भेजे।

अध्याय देखें प्रतिलिपि

16 क्रॉस रेफरेंस  

उन अद्भूत कार्यों को याद करो जो यहोवा ने किये हैं। उसके निर्णयों को याद रखो और शक्तिपूर्ण कार्यों को जो उसने किये।

यह उन दिनों की बात है जब क्षयर्ष नाम का राजा राज्य किया करता था। भारत से लेकर कूश के एक सौ सत्ताईस प्रांतों पर उसका राज्य था।

महाराजा क्षयर्ष ने अपने राज्य के सभी भागों में पत्र भिजवा दिये। हर प्रांत में जो पत्र भेजा गया, वह उसी प्रांत की भाषा में लिखा गया था। हर जाति में उसने वह पत्र भिजवा दिया। यह पत्र उनकी अपनी भाषा में ही लिखे गये थे। जन सामान्य की भाषा में उन पत्रों में घोषित किया गया था कि अपने—अपने परिवार का हर व्यक्ति शासक है।

फिर उस पहले महीने के तेरहवें दिन महाराजा के सचिवों को बुलाया गया। उन्होंने हामान के सभी आदेशों को हर प्रांत की लिपि और विभिन्न लोगों की भाषा में अलग—अलग लिख दिया। साथ ही उन्होंने उन आदेशों को प्रत्येक कबीले के लोगों की भाषा में भी लिख दिया। उन्होंने राजा के मुखियाओं, विभिन्न प्रांतों के राज्यपालों अलग अलग कबीलों के मुखियाओं के नाम पत्र लिख दिये। ये पत्र उन्होंने स्वयं महाराजा क्षयर्ष की ओर से लिखे थे और आदेशों को स्वयं महाराजा की अपनी अंगूठी से अंकित किया गया था।

राजा के सचिवों को तत्काल बुलाया गया। सीवान नाम के तीसरे महीने की तेईसवीं तारीख को वह आदेश पत्र लिखा गया। यहूदियों के लिये मोर्दकै के सभी आदेशों को सचिवों ने लिखकर यहूदियों, मुखियाओं, राज्यपालों और एक सौ सत्ताईस प्रांतो के अधिकारियों के पास पहुँचा दिया। ये प्रांत भारत से लेकर कूश तक फैले हुए थे। ये आदेश पत्र हर प्रांत की लिपि और भाषा में लिखे गये थे और हर देश के लोगों की भाषा में उसका अनुवाद किया गया था। यहूदियों के लिये ये आदेश उन की अपनी भाषा और उनकी अपनी लिपि में लिखे गये थे।

इसी कारण उस ग्राम्य प्रदेश के छोटे छोटे गाँवों में रहने वाले यहूदियों ने चौदहवीं तारीख को खुशियों भरी छुट्टी के रूप में रखा। उस दिन उन्होंने आपस में एक दूसरे को भोज दिये।

मोर्दकै ने यहूदियों को यह बताने के लिए ऐसा किया कि वे हर साल अदार महीने की चौदहवीं और पन्द्रहवीं तारीख को पूरीम का उत्सव मनाया करें।

इसलिये ये दिन “पूरीम” कहलाये। “पूरीम” नाम “पूर” शब्द से बना है (जिसका अर्थ है लाटरी) और इसलिए यहूदियों ने हर वर्ष इन दो दिनों को उत्सव के रूप में मनाने की शुरुआत करने का निश्चय किया। उन्होंने यह इसलिए किया ताकि अपने साथ होते हुए जो बातें उन्होंने देखी थीं, उन्हें याद रखने में उनको मदद मिले। यहूदियों और उन दूसरे सभी लोगों को, जो यहूदियों में आ मिले थे, हर साल इन दो दिनों को ठीक उसी रीति और उसी समय मनाना था जिसका निर्देश मोर्दकै ने अपने आदेशपत्र में किया था।

पूरीम के बारे में सुनिश्चित करने के लिये महारानी एस्तेर और यहूदी मोर्दकै ने यह दूसरा पत्र लिखा। एस्तेर अबीहैल की पुत्री थी। वह पत्र सच्चा था, इसे प्रमाणित करने के लिये उन्होंने इसे राजा के सम्पूर्ण अधिकार के साथ लिखा।

तब यहोवा ने मूसा से कहा, “इस युद्ध के बारे में लिखो। इस युद्ध की घटनाओं को एक पुस्तक में लिखो जिससे लोग याद करेंगे कि यहाँ क्या हुआ था और यहोशू से कहो कि मैं अमालेकी लोगों को धरती से पूर्णरूप से नष्ट कर दूँगा।”

यिर्मयाह ने बाबुल में बन्दी यहूदियों को एक पत्र भेजा। उसने इसे अग्रजों (प्रमुखों), याजकों, नबियों और बाबुल में रहने वाले सभी लोगों को भेजा। ये वे लोग थे जिन्हें नबूकदनेस्सर ने यरूशलेम में पकड़ा था और बाबुल ले गया था।




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