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क्रॉस रेफरेंस
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एस्तेर 6:6

पवित्र बाइबल

हामान जब भीतर आया तो राजा ने उससे एक प्रश्न पूछा, “हामान, राजा यदि किसी को आदर देना चाहे तो उस व्यक्ति के लिए राजा को क्या करना चाहिए?” हामान ने अपने मन में सोचा, “ऐसा कौन हो सकता है जिसे राजा मुझसे अधिक आदर देना चाहता होगा राजा निश्चय ही मुझे आदर देने के लिये ही बात कर रहा होगा।”

अध्याय देखें प्रतिलिपि

19 क्रॉस रेफरेंस  

राजा ने उन लोगों से पूछा, “महारानी वशती के साथ क्या किया जाये इस बारे में नियम क्या कहता है? उसने महाराजा क्षयर्ष की उस आज्ञा को मानने से मना कर दिया जिसे खोजे उसके पास ले गये थे।”

वह अपने मित्रों के आगे अपने धन और अनेक पुत्रों के बारे में डींग मारते हुए यह बताने लगा कि राजा उसका किस प्रकार से सम्मान करता है। वह बढ़ा चढ़ा कर यह भी बताने लगा कि दूसरे सभी हाकिमों से राजा ने किस प्रकार उसे और अधिक ऊँचे पद पर पदोन्नति दी है।

सो हामान ने वस्त्र और घोड़ा लिया और वस्त्र मोर्दकै को पहना कर घोड़े पर चढ़ा कर नगर की गलियों से होते हुए घोड़े के आगे आगे चल दिया। मोर्दकै के आगे आगे चलता हुआ हामान घोषणा कर रहा था, “यह सब उस व्यक्ति के लिये किया गया है, जिसे राजा आदर देना चाहता है!”

राजा के सेवकों ने उत्तर दिया, “आँगन में हामान खड़ा हुआ है।” सो राजा ने कहा, “उसे भीतर ले आओ।”

सो हामान ने उत्तर देते हुए राजा से कहा, “राजा जिसे आदर देना चाहता है, उस व्यक्ति के साथ वह ऐसा करे:

इसके बाद राजा के किसी अत्यन्त महत्वपूर्ण मुखिया को उस वस्त्र और घोड़े का अधिकारी नियुक्त किया जाये। फिर वह अधिकारी उस व्यक्ति को, जिसे राजा सम्मानित करना चाहता है, उस वस्त्र को पहनाये और फिर इसके बाद वह अधिकारी उस घोड़े के आगे—आगे चलता हुआ उसे नगर की गलियों के बीच से गुजारे। वह अपनी अगुवाई में घोड़े को ले जाते हुए यह घोषणा करता जाये, ‘यह उस व्यक्ति के लिये किया गया है, राजा जिसे आदर देना चाहता है।’”

कुछ लोग मेरा नेक चाहते हैं। मैं आशा करता हूँ कि वे बहुत आनन्दित होंगे! वे हमेशा कहते हैं, “यहोवा महान है! वह अपने सेवक की अच्छाई चाहता है।”

“सीधों की मनमानी उन्हें ले डूबेगी, मूर्खों का आत्म सुख उन्हें नष्ट कर देगा।

नाश आने से पहले अहंकार आ जाता और पतन से पहले चेतना हठी हो जाती।

पतन से पहले मन अहंकारी बन जाता, किन्तु सम्मान से पूर्व विनम्रता आती है।

ऐसे भी होते हैं जिनकी आँखें सदा तनी ही रहती, और जिनकी आँखों में घृणा भरी रहती है।

“मेरे दास को देखो! मैं ही उसे सभ्भाला हूँ। मैंने उसको चुना है, मैं उससे अति प्रसन्न हूँ। मैं अपनी आत्मा उस पर रखता हूँ। वह ही सब देशों में न्याय खरेपन से लायेगा।

वे मुझे प्रसन्न करेंगे। मैं उनका भला करने में आनन्दित होऊँगा और मैं, निश्चय ही, उन्हें इस धरती में बसाऊँगा और उन्हें बढ़ाऊँगा। यह मैं अपने पूरे हृदय और आत्मा से करूँगा।’”

तुम अपने अभिमान के द्वारा छले गये हो। तुम ऊँची पहाड़ियों की गुफाओं में रहते हो। तुम्हारा घर पहाड़ियों में ऊँचे पर है। तुम अपने मन में कहते हो, ‘मुझे काई भी धूल नहीं चटा सकता।’”

तभी यह आकाशवाणी हुई: “यह मेरा प्रिय पुत्र है। जिससे मैं अति प्रसन्न हूँ।”

फिर तुम दोनों को बुलाने वाला तुम्हारे पास आकर तुमसे कहेगा, ‘अपना यह स्थान इस व्यक्ति को दे दो।’ और फिर लज्जा के साथ तुम्हें सबसे नीचा स्थान ग्रहण करना पड़ेगा।

जिससे सभी लोग पुत्र का आदर वैसे ही करें जैसे वे पिता का करते हैं। जो व्यक्ति पुत्र का आदर नहीं करता वह उस पिता का भी आदर नहीं करता जिसने उसे भेजा है।




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