मैं तुमको वचन देता हूँ, “जल की बाढ़ से पृथ्वी का सारा जीवन नष्ट हो गया था। किन्तु अब यह कभी नहीं होगा। अब बाढ़ फिर कभी पृथ्वी के जीवन को नष्ट नहीं करेगी।”
मैं यह वचन तुम्हारे साथ जहाज़ से बाहर आने वाले सभी पक्षियों, सभी पशुओं तथा सभी जानवरों को देता हूँ। मैं यह वचन पृथ्वी के सभी जीवित प्राणियों को देता हूँ।”
जब मैं इस मेघधनुष को देखूँगा तब मैं तुम्हारे, पृथ्वी के सभी जीवित प्राणियों और अपने बीच हुई वाचा को याद करूँगा। यह वाचा इस बात की है कि बाढ़ फिर कभी पृथ्वी के प्राणियों को नष्ट नहीं करेगी।
परमेश्वर कहता है, “यह ठीक वैसा ही है जैसे नूह के काल में मैंने बाढ़ के द्वारा दुनियाँ को दण्ड दिया था। मैंने नूह को वरदान दिया कि फिर से मैं दुनियाँ पर बाढ़ नहीं लाऊँगा। उसी तरह तुझको, मैं वह वचन देता हूँ, मैं तुझसे कुपित नहीं होऊँगा और तुझसे फिर कठोर वचन नहीं बोलूँगा।”
क्योंकि जब ये सभी वस्तुएँ इस प्रकार नष्ट होने को जा रही हैं तो सोचो तुम्हें किस प्रकार का बनना चाहिए? तुम्हें पवित्र जीवन जीना चाहिए, पवित्र जीवन जो परमेश्वर को अर्पित है तथा हर प्रकार के उत्तम कर्म करने चाहिए।
किन्तु यह आकाश और यह धरती जो आज अपने अस्तित्व में हैं, उसी आदेश के द्वारा अग्नि के द्वारा नष्ट होने के लिए सुरक्षित हैं। इन्हें उस दिन के लिए रखा जा रहा है जब अधर्मी लोगों का न्याय होगा और वे नष्ट कर दिए जायेंगे।