अब से सातवें दिन मैं पृथ्वी पर बहुत भारी वर्षा भेजूँगा। यह वर्षा चालीस दिन और चालीस रात होती रहेगी। पृथ्वी के सभी जीवित प्राणी नष्ट हो जायेंगे। मेरी बनाई सभी चीज़े खत्म हो जायेंगें।”
यहोवा ने अपने ऊपर के निवास आकाश के ऊपर बनाए। उसने अपने आकाश को पृथ्वी पर रखा। वह सागर के जल को बुला लेता है, और देश पर उसकी वर्षा करता है। उसका नाम यहोवा है।