“याकूब के पुत्रो, एक साथ आओ और सुनो, अपने पिता इस्राएल की सुनो।”
“रूबेन, तुम मेरे प्रथम पुत्र हो। तुम मेरे पहले पुत्र और मेरी शक्ति का पहला सबूत हो। तुम मेरे सभी पुत्रों से अधिक गर्वीले और बलवान हो।
हे बालकों, मेरी सुनो, और मैं तुम्हें सिखाऊँगा कि यहोवा की सेवा कैसे करें।
यदि कोई व्यक्ति जीवन से प्रेम करता है, और अच्छा और दीर्घायु जीवन चाहता है,
अपने पिता की सुन जिसने तुझे जीवन दिया है, अपनी माता का निरादर मत कर जब वह वृद्ध हो जाये।
मेरे पुत्र, मुझमें मन लगा और तेरी आँखें मुझ पर टिकी रहें। मुझे आदर्श मान।
हे मेरे पुत्र, तू मेरी बुद्धिमता की बातों पर ध्यान दे। मेरे अर्न्तदृष्टि के वचन को लगन से सुन।
हे मेरे पुत्र, अपने पिता की आज्ञा का पालन कर और अपनी माता की सीख को कभी मत त्याग।
हे मेरे पुत्र, मेरे वचनों को पाल और अपने मन में मेरे आदेश संचित कर।
सो मेरे पुत्रों, अब मेरी बात सुनो और जो कुछ मैं कहता हूँ उस पर ध्यान धरो।
“तो अब, मेरे पुत्रों, मेरी बात सुनो। वो धन्य है! जो जन मेरी राह पर चलते हैं।
“इसलिए तुम सभी जो आपस में इकट्ठे हुए हो मेरी बात सुनों! क्या किसी झूठे देव ने तुझसे ऐसा कहा है कि आगे चल कर ऐसी बातें घटित होंगी नहीं।” यहोवा इस्राएल से जिसे, उस ने चुना है, प्रेम करता है। वह जैसा चाहेगा वैसा ही बाबुल और कसदियों के साथ करेगा।