तब फ़िरौन ने कहा, “हमारी सबसे अच्छी गाड़ियों में से कुछ अपने भाईयों को दो। उन्हें कनान जाने और गाड़ियों में अपने पिता, स्त्रियों और बच्चों को यहाँ लाने को कहो।
किन्तु यूसुफ ने जो बातें कही थीं, भाईयों ने हर एक बात अपने पिता से कही। तब याकूब ने उन गाड़ियों को देखा जिन्हें यूसुफ ने उसे मिस्र की वापसी यात्रा के लिए भेजा था। तब याकूब भाबुक हो गया और अत्यन्त प्रसन्न हुआ।
तब याकूब ने बेर्शेबा छोड़ा और मिस्र तक यात्रा की। उसके पुत्र, अर्थात् इस्राएल के पुत्र अपने पिता, अपनी पत्नियों और अपने सभी बच्चों को मिस्र ले आए। उन्होंने फ़िरौन द्वारा भेजी गयी गाड़ियों में यात्रा की।
हे दूर देशों के लोगों, मेरी बात सुनों हे धरती के निवासियों, तुम सभी मेरी बात सुनों! मेरे जन्म से पहले ही यहोवा ने मुझे अपनी सेवा के लिये बुलाया। जब मैं अपनी माता के गर्भ में ही था, यहोवा ने मेरा नाम रख दिया था।
राजा तेरे बच्चों के शिक्षक होंगे और राजकन्याएँ उनका ध्यान रखेंगी। वे राजा और उनकी कन्याएँ दोनों तेरे सामने माथा नवायेंगे। वे तेरे पाँवों भी धूल का चुम्बन करेंगे। तभी तू जानेगा कि मैं यहोवा हूँ। तभी तुझको समझ में आयेगा कि हर ऐसा व्यक्ति जो मुझमें भरोसा रखता है, निराश नहीं होगा।”
ये नेता यहोवा के लिये भेंटें लाए। वे चारों ओर से ढकी छः गाड़ियाँ और बारह गायें लाए। (हर एक नेता द्वारा एक गाय दी गई थी। हर नेता ने दूसरे नेता से चारों ओर से ढकी गाड़ी को देने में साझा किया।) नेताओं ने पवित्र तम्बू पर यहोवा को ये चीज़े दीं।