यूसुफ के मालिक ने जो उसकी पत्नी ने कहा, उसे सुना और वह बहुत क्रोधित हुआ।
किन्तु जब वह मेरे पास आया तो मैं चिल्लाई। वह भाग गया, किन्तु अपना अंगरखा छोड़ गया।”
दीन लोगों के लिये मैं पिता के तुल्य था, मैं पक्ष लिया करता था ऐसे अनजानों का जो विपत्ति में पड़े थे।
जब कभी हमारे शत्रु ने हम पर क्रोध किया, तब वे हमें जीवित ही निगल लिये होते।
पहले जो बोलता है ठीक ही लगता है किन्तु बस तब तक ही जब तक दूसरा उससे प्रश्न नहीं करता है।
यदि एक शासक झूठी बातों को महत्व देता है तो उसके अधिकारी सब भ्रष्ट हो जाते हैं।
प्रेम की आग को जल नहीं बुझा सकता। प्रेम को बाढ़ बहा नहीं सकती। यदि कोई व्यक्ति प्रेम को घर का सब दे डाले तो भी उसकी कोई नहीं निन्दा करेगा!
मैंने उनसे कहा, ‘रोमियों में ऐसा चलन नहीं है कि किसी व्यक्ति को, जब तक वादी-प्रतिवादी को आमने-सामने न करा दिया जाये और उस पर लगाये गये अभियोगों से उसे बचाव का अवसर न दे दिया जाये, उसे दण्ड के लिये सौंपा जाये।’
इसलिए परमेश्वर उनमें एक छली शक्ति को कार्यरत कर देगा जिससे वे झूठ में विश्वास करने लगे थे। इससे उनका विश्वास जो झूठा है, उस पर होगा।