जब मिद्यानी व्यापारी पास आए, भाईयों ने यूसुफ को कुएँ से बाहर निकाला। उन्होंने बीस चाँदी के टुकड़ों में उसे व्यापारियों को बेच दिया। व्यापारी उसे मिस्र ले गए।
यूसुफ कुएँ में था, उसके भाई भोजन करने बैठे। तब उन्होंने नज़र उठाई और व्यापारियों का एक दल को देखा जो गिलाद से मिस्र की यात्रा पर थे। उनके ऊँट कई प्रकार के मसाले और धन ले जा रहे थे।
उन मिद्यानी व्यापारियों ने जिन्होंने यूसुफ को खरीदा था, बाद में उसे मिस्र में बेच दिया। उन्होंने फिरौन के अंगरक्षकों के सेनापति पोतीपर के हाथ उसे बेचा।
याकूब के मरने के बाद यूसुफ के भाई चितिंत हुए। वे डर रहे थे कि उन्होंने जो कुछ पहले किया था उसके लिए यूसुफ अब भी उनसे क्रोध में पागल होगा। उन्होंने कहा, “क्या जो कुछ हम ने किया उसके लिए यूसुफ अब भी हम से घृणा करता है?”
द्यान में एक याजक था जिसकी सात पुत्रियाँ थीं। एक दिन उसकी पुत्रियाँ अपने पिता की भेड़ों के लिए पानी लेने उसी कुएँ पर गईं। वे कठौती को पानी से भरने का प्रयत्न कर रही थीं।
मिद्यान और एपा देशों के ऊँटों के झुण्ड तेरी धरती को ढक लेंगे। शिबा के देश से ऊँटों की लम्बी पंक्तियाँ तेरे यहाँ आयेंगी। वे सोना और सुगन्ध लायेंगे। लोग यहोवा के प्रशंसा के गीत गायेंगे।
इस प्रकार परमेश्वर का, भविष्यवक्ता यिर्मयाह के द्वारा कहा गया यह वचन पूरा हुआ: “उन्होंने चाँदी के तीस सिक्के लिए, वह रकम जिसे इस्राएल के लोगों ने उसके लिये देना तय किया था।
इस्राएल के लोगों ने गिदोन से कहा, “तुमने हम लोगों को मिद्यानी लोगों से बचाया। इसलिए हम लोगों पर शासन करो। हम चाहते हैं कि तुम, तुम्हारे पुत्र और तुम्हारे पौत्र हम लोगों पर शासन करें।”
इस्राएल के लोगों ने जिन्हें हराया, उनमें कुछ इश्माएली लोग थे। इश्माएली लोग सोने की कान की बालियाँ पहनते थे। इसलिए गिदोन ने इस्राएल के लोगों से कहा, “मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे लिये यह काम करो। मैं तुम में से हर एक से यह चाहता हूँ कि तुम लोगों ने युद्ध में जो पाया उसमें से एक—एक कान की बाली हमें दो।”