यूसुफ के पिता ने कहा, “जाओ और देखो कि तुम्हारे भाई सुरक्षित हैं। लौटकर आओ और बताओ कि क्या मेरी भेड़ें ठीक हैं?” इस प्रकार यूसुफ के पिता ने उसे हेब्रोन की घाटी से शकेम को भेजा।
इस तरह अब्राम ने अपना तम्बू हटाया। वह मम्रे के बड़े पेड़ों के पास रहने लगा। यह हेब्रोन नगर के करीब था। उस जगह पर अब्राम ने एक वेदी यहोवा की उपासना के लिए बनायी।
यूसुफ ने उत्तर दिया, “मेरी अपनी बुद्धि नहीं है कि मैं सपनों को समझ सकूँ केवल परमेश्वर ही है जो ऐसी शक्ति रखता है और फ़िरौन के लिए परमेश्वर ही यह करेगा।”
राजा ने कुशी से पूछा, “क्या युवक अबशालोम कुशल से है?” कुशी ने उत्तर दिया, “मुझे आशा है कि आपके शत्रु और सभी लोग जो आपके विरुद्ध चोट करने आयेंगे, वे इस युवक (अबशालोम) की तरह सजा पायेंगे।”
वह उनकी मृत्यु के लिये अपराधी होगा और उसका परिवार भी सदा के लिये दोषी होगा। किन्तु परमेश्वर की ओर से दाऊद को, उसके वंशजों, उसके राज परिवार और सिंहासन को सदा के लिये शान्ति मिलेगी।”
मोर्दकै जहाँ रनवास की स्त्रियाँ रहा करती थीं, वहाँ आसपास और आगे पीछे घूमा करता था। वह यह पता लगाना चाहता था कि एस्तेर कैसी है और उसके साथ क्या कुछ घट रहा है? इसीलिये वह ऐसा करता था।
मैं जिस नगर में तुम्हें भेजूँ उसके लिये अच्छा काम करो। जिस नगर में तुम रहो उसके लिये यहोवा से प्रार्थना करो। क्यों क्योंकि यदि उस नगर में शान्ति रहेगी तो तुम्हें भी शान्ति मिलेगी।”
वे नेगेव से होकर तब तक यात्रा करते रहे जब तक वे हेब्रोन नगर को पहुँचे। (हेब्रोन मिस्र में सोअन नगर के बसने के सात वर्ष पहले बना था।) अहीमन, शेशै और तल्मै वहाँ रहते थे। ये लोग अनाक के वंशज थे।
और वह नगर अब भी कनजी यपुन्ने के पुत्र कालेब के परिवार का है। वह प्रदेश अब तक उसके लोगों का है क्योंकि, उसने इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की आज्ञा मानी और उस पर पूर्ण विश्वास किया।
तब यहूदा के लोग उन कनानी लोगों के विरूद्ध लड़ने गए जो हेब्रोन नगर में रहते थे। (हेब्रोन को किर्यतर्बा कहा जाता था।) यहूदा के लोगों ने शेशै, अहीमन और तल्मै कहे जाने वाले लोगों को हराया।
दाऊद ने भोजन और चीजों को उस व्यक्ति के पास छोड़ा जो सामग्री का वितरण करता था। दाऊद दौड़ कर उस स्थान पर पहुँचा जहाँ इस्राएली सैनिक थे। दाऊद ने अपने भाईयों के विषय में पूछा।