तब वे कनान की ओर लौटने लगे जहाँ उसका पिता रहता था। जानवरों की भी सभी रेवड़ें, जो याकूब की थीं, उनके आगे चल रही थीं। वह वो सभी चीजें साथ ले जा रहा था जो उसने पद्दनराम में रहते हुए प्राप्त की थीं।
तुझसे प्रार्थना करता हूँ कि कृपा करके मुझे मेरे भाई एसाव से बचा। मैं उससे डरा हुआ हूँ। इसलिए कि वह आएगा और हम सभी को, यहाँ तक कि बच्चों सहित माताओं को भी जान से मार डालेगा।
उस सन्देश ने याकूब को डरा दिया। उसने अपने सभी साथीयों को दो दलों में बाँट दिया। उसने अपनी सभी रेवड़ों, मवेशियों के झुण्ड और ऊँटों को दो भागों में बाँटा।
याकूब ने दृष्टि उठाई और एसाव को आते हुए देखा। एसाव आ रहा था और उसके साथ चार सौ पुरुष थे। याकूब ने अपने परिवार को चार समूहों में बाँटा। लिआ और उसके बच्चे एक समूह में थे, राहेल और यूसुफ एक समूह में थे, दासी और उनके बच्चे दो समूहों में थे।
इसलिए एसाव ने कहा, “तब मैं अपने कुछ साथियों को तुम्हारी सहायता के लिए छोड़ दूँगा।” किन्तु याकूब ने कहा, “यह तुम्हारी विशेष दया है। किन्तु ऐसा करने की कोई आवश्यकता नहीं है।”
एसाव ने कहा, “मैंने जिन सब लोगों को यहाँ आते समय देखा वे कौन थे? और वे सभी जानवर किस लिए थे?” याकूब ने उत्तर दिया, “वे तुमको मेरी भेंट हैं जिसंसे तुम मुझे स्वीकार कर सको!”
शकेम ने भी याकूब और भाईयों से बात की। शकेम ने कहा, “कृपया मुझे स्वीकार करें और मैंने जो किया उसके लिए क्षमा करें। मुझे जो कुछ आप लोग करने को कहेंगे, करूँगा।
तुम किसी सिंह के सामने से बचकर भाग निकलने वाले ऐसे व्यक्ति के समान होगे जिस पर भागते समय रीछ आक्रमण कर देता है और फिर जब वह उस रीछ से भी बच निकलकर किसी घर में जा घुसता है तो वहाँ दीवार पर हाथ रखते ही, उसे साँप डस लेता है!
तब रूत ने कहा, “आप मुझ पर बड़े दयालु हैं, महोदय। मैं तो केवल एक दासी हूँ। मैं आपके सेवकों में से भी किसी के बराबर नहीं हूँ। किन्तु आपने मुझसे दयापूर्ण बातें की हैं और मुझे सान्त्वना दी है।”
एक दिन रूत ने (मोआबी स्त्री) नाओमी से कहा, “मैं सोचती हूँ कि मैं खेतों में जाऊँ। हो सकता है कि कोई ऐसा व्यक्ति मुझे मिले जो मुझ पर दया करके, मेरे लिए उस अन्न को इकट्ठा करने दे जिसे वह अपने खेत में छोड़ रहा हो।” नाओमी ने कहा, “पुत्री, ठीक है, जाओ।”