तब परमेश्वर अब्राम को बाहर ले गया। परमेश्वर ने कहा, “आकाश को देखो। अनेक तारों को देखो। ये इतने हैं कि तुम गिन नहीं सकते। भविष्य में तुम्हारा कुटुम्ब ऐसा ही होगा।”
मैं तुम्हें निश्चय ही आशीर्वाद दूँगा। मैं तुम्हें उतने वंशज दूँगा जितने आकाश में तारे हैं। ये इतने अधिक लोग होंगे जितने समुद्र के तट पर बालू के कण और तुम्हारे लोग अपने सभी शत्रुओं को हराएंगे।
याकूब ने कहा, “नहीं! मैं तुमसे विनती करता हूँ। यदि तुम सचमुच मुझे स्वीकार करते हो तो कृपया जो भेटें देता हूँ तुम स्वीकार करो। मैं तुमको दुबारा देख कर बहुत प्रसन्न हूँ। यह तो परमेश्वर को देखने जैसा है। मैं यह देखकर बहुत प्रसन्न हूँ कि तुमने मुझे स्वीकार किया है।
एसाव ने कहा, “मैंने जिन सब लोगों को यहाँ आते समय देखा वे कौन थे? और वे सभी जानवर किस लिए थे?” याकूब ने उत्तर दिया, “वे तुमको मेरी भेंट हैं जिसंसे तुम मुझे स्वीकार कर सको!”
इस समय यूसुफ मिस्र का प्रशासक था। केवल यूसुफ ही था जो मिस्र आने वाले लोगों को अन्न बेचने का आदेश देता था। यूसुफ के भाई उसके पास आए और उन्होंने उसे झुककर प्रणाम किया।
तब उनके पिता इस्राएल ने कहा, “यदि यह सचमुच सही है तो बिन्यामीन को अपने साथ ले जाओ। किन्तु प्रशासक के लिए कुछ भेंट ले जाओ। उन चीजों में से कुछ ले जाओ जो हम लोग अपने देश में इकट्ठा कर सके हैं। उसके लिए कुछ शहद, पिस्ते, बादाम, गोंद और लोबान ले जाओ।
सो मैंने परकोटे की दीवार के साथ—साथ जो स्थान सबसे नीचे पड़ते थे, उनके पीछे कुछ लोगों को नियुक्त कर दिया तथा मैंने दीवार में जो नाके पड़ते थे, उन पर भी लोगों को लगा दिया। मैंने समूची दीवारों को उनकी तलवारों, भालों और धनुष बाणों के साथ वहाँ लगा दिया।
अपने सेवकों से पूछो और वे बता देंगे कि यह सब सच है। कृपया मेरे युवकों पर दया करो। इस प्रसन्नता के अवसर पर हम तुम्हारे पास पहुँच रहे हैं। कृपया इन युवकों को तुम जो कुछ चाहो, दो। कृपया यह मेरे लिये, अपने मित्र दाऊद के लिये करो।”