दूत ने और भी कहा, “अभी तुम गर्भवती हो और तुम्हे एक पुत्र होगा। तुम उसका नाम इश्माएल रखना। क्योंकि यहोवा ने तुम्हारे कष्ट को सुना है और वह तुम्हारी मदद करेगा।
मनुष्य ने पालतू जानवरों, आकाश के सभी पक्षियों और जंगल के सभी जानवरों का नाम रखा। मनुष्य ने अनेक जानवर और पक्षी देखे लेकिन मनुष्य कोई ऐसा सहायक नहीं पा सका जो उसके योग्य हो।
और मनुष्य ने कहा, “अन्तत! हमारे समाने एक व्यक्ति। इसकी हड्डियाँ मेरी हड्डियों से आईं इसका शरीर मेरे शरीर से आया। क्योंकि यह मनुष्य से निकाली गई, इसलिए मैं इसे स्त्री कहूँगा।”
लेमेक के पुत्र का नाम नूह रखा। लेमेक ने कहा, “हम किसान लोग बहुत कड़ी मेहनत करते हैं क्यैंकि परमेश्वर ने भूमि को शाप दे दिया है। किन्तु नूह हम लोगों को विश्राम देगा।”
बच्चा बड़ा हुआ और कुछ समय बाद वह स्त्री उस बच्चे को फ़िरौन की पुत्री के पास लाई। फ़िरौन की पुत्री ने अपने पुत्र के रूप में उस बच्चे को अपना लिया। फ़िरौन की पुत्री ने उसका नाम मूसा रखा। क्योंकि उसने उसे पानी से निकाला था।
एक ही मनुष्य से उसने मनुष्य की सभी जातियों का निर्माण किया ताकि वे समूची धरती पर बस जायें और उसी ने लोगों का समय निश्चित कर दिया और उस स्थान की, जहाँ वे रहें सीमाएँ बाँध दीं।
किन्तु मैं डरता हूँ कि कहीं जैसे उस सर्प ने हव्वा को अपने कपट से भ्रष्ट कर दिया था, वैसे ही कहीं तुम्हारा मन भी उस एकनिष्ठ भक्ति और पवित्रता से, जो हमें मसीह के प्रति रखनी चाहिए, भटका न दिया जाये।