जब सभी भेड़ें वहाँ इकट्ठी हो जातीं तो गड़ेंरिये चट्टान को कुएँ के मुँह पर से हटाते थे। तब सभी भेड़े उसका जल पी सकती थीं। जब भेड़ें पी चुकती थीं तब गड़ेरिये शिला को फिर अपनी जगह पर रख देते थे।
याकूब ने दृष्टि डाली, उसने मैदान में एक कुआँ देखा। वहाँ कुएँ के पास भेड़ों के तीन रेवड़े पड़े हुई थे। यही वह कुआँ था जहाँ ये भेड़ें पानी पीती थीं। वहाँ एक बड़े शिला से कुएँ का मुँह ढका था।
लेकिन उस गड़ेरिये ने कहा, “हम लोग यह तब तक नहीं कर सकते जब तक सभी रेबड़े इकट्ठे नहीं हो जाते। तब हम लोग शिला को कुएँ से हटाएंगे और सभी भेड़ें पानी पीएँगी।”
घुंघरूओं की छमछम पर, पशुओं को लिए पानी वाले कूपों पर, वे यहोवा की विजय की कथाओं को कहते हैं, इस्राएल में यहोवा और उसके वीरों की विजय—कथा कहते हैं। उस समय यहोवा के लोग नगर—द्वारों पर लड़े और विजयी हुये!