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क्रॉस रेफरेंस
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उत्पत्ति 26:5

पवित्र बाइबल

मैं यह इसलिए करूँगा कि तुम्हारे पिता इब्राहीम ने मेरी आज्ञा का पालन किया और मैंने जो कुछ कहा, उसने किया। इब्राहीम ने मेरे आदेशों, मेरी विधियों और मेरे नियमों का पालन किया।”

अध्याय देखें प्रतिलिपि

14 क्रॉस रेफरेंस  

अब्राम ने यहोवा की आज्ञा मानी। उसने हारान को छोड़ दिया और लूत उसके साथ गया। इस समय अब्राम पच्हत्तर वर्ष का था।

परमेश्वर ने कहा था कि तुम अपने कुटुम्ब के सभी लड़कों और पुरुषों का खतना कराना। इसलिए इब्राहीम ने इश्माएल और अपने घर में पैदा सभी दासों को एक साथ बुलाया। इब्राहीम ने उन दासों को भी एक साथ बुलाया जो धन से खरीदे गए थे। इब्राहीम के घर के सभी पुरुष और लड़के इकट्ठे हुए और उन सभी का खतना उसी दिन उनका माँस काट कर दिया गया।

मैंने इब्राहीम के साथ खास वाचा की है। मैंने यह इसलिए किया है कि वह अपने बच्चे और अपने वंशज को उस तरह जीवन बिताने के लिए आज्ञा देगा जिस तरह का जीवन बिताना यहोवा चाहता है। मैंने यह इसलिए किया कि वे सच्चाई से रहेंगे और भले बनेंगे। तब मैं यहोवा प्रतिज्ञा की गई चीज़ों को दूँगा।”

दूत ने कहा, “तुम मेरे लिए अपने पुत्र को मारने के लिए तैयार थे। यह तुम्हारा एकलौता पुत्र था। तुमने मेरे लिए ऐसा किया है इसलिए मैं, यहोवा तुमको वचन देता हूँ कि,

संसार के सभी राष्ट्र तुम्हारे परिवार के द्वारा आशीर्वाद पाएंगे। मैं यह इसलिए करूँगा क्योंकि तुमने मेरी आज्ञा का पालन किया।”

इसहाक ठहरा और गरार में रहा।

“इसलिये जो इन आदेशों में से किसी छोटे से छोटे को भी तोड़ता है और लोगों को भी वैसा ही करना सिखाता है, वह स्वर्ग के राज्य में कोई महत्व नहीं पायेगा। किन्तु जो उन पर चलता है और दूसरों को उन पर चलने का उपदेश देता है, वह स्वर्ग के राज्य में महान समझा जायेगा।

“इसलिये जो कोई भी मेरे इन शब्दों को सुनता है और इन पर चलता है उसकी तुलना उस बुद्धिमान मनुष्य से होगी जिसने अपना मकान चट्टान पर बनाया,

सो मेरे प्यारे भाइयो, अटल बने डटे रहो। प्रभु के कार्य के प्रति अपने आपको सदा पूरी तरह समर्पित कर दो। क्योंकि तुम तो जानते ही हो कि प्रभु में किया गया तुम्हारा कार्य व्यर्थ नहीं है।

क्योंकि मसीह यीशु में स्थिति के लिये न तो ख़तना कराने का कोई महत्त्व है और न ख़तना नहीं कराने का बल्कि उसमें तो प्रेम से पैदा होने वाले विश्वास का ही महत्त्व है।

विश्वास के कारण ही, जब इब्राहीम को ऐसे स्थान पर जाने के लिए बुलाया गया था, जिसे बाद में उत्तराधिकार के रूप में उसे पाना था, यद्यपि वह यह जानता तक नहीं था कि वह कहाँ जा रहा है, फिर भी उसने आज्ञा मानी और वह चला गया।

क्या हमारा पिता इब्राहीम अपने कर्मों के आधार पर ही उस समय धर्मी नहीं ठहराया गया था जब उसने अपने पुत्र इसहाक को वेदी पर अर्पित कर दिया था?




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