यदि उस नगर में पचास अच्छे लोग हों तो क्या होगा? क्या तब भी तू नगर को नष्ट कर देगा? निश्चय ही तू वहाँ रहने वाले पचास अच्छे लोगों के लिए उस नगर को बचा लेगा।
निश्चय ही तू नगर को नष्ट नहीं करेगा। बुरे लोगों को मारने के लिए तू पचास अच्छे लोगों को नष्ट नहीं करेगा। अगर ऐसा हुआ तो अच्छे और बुरे लोग एक ही हो जाएँगे, दोनों को ही दण्ड मिलेगा। तू पूरी पृथ्वी को न्याय देने वाला है। मैं जानता हूँ कि तू न्याय करेगा।”
दाऊद ने उस स्वर्गदूत को देखा जिसने लोगों को मारा। दाऊद ने यहोवा से बातें कीं। दाऊद ने कहा, “मैंने पाप किया है। मैंने गलती की है। किन्तु इन लोगों ने मेरा अनुसरण भेड़ की तरह किया। उन्होंने कोई गलती नहीं की। कृपया दण्ड मुझे और मेरे पिता के परिवार को दें।”
किन्तु, मैं परमेश्वर के निकट आया। मेरे साथ परमेश्वर भला है, मैंने अपना सुरक्षास्थान अपने स्वामी यहोवा को बनाया है। हे परमेश्वर, मैं उन सभी बातों का बखान करूँगा जिनको तूने किया है।
“तुम किसी को किसी बात के लिए अपराधी कहते समय बहुत सावधान रहो। किसी व्यक्ति पर झूठे दोष न लगाओ। किसी निर्दोष व्यक्ति को उस अपराध के दण्ड के द्वारा मत मरने दो जो उसने नहीं किया। कोई व्यक्ति जो निर्दोष की हत्या करे, दुष्ट है। और मैं उस दुष्ट व्यक्ति को क्षमा (माफ़) नहीं करूँगा।
उन्हीं में से एक उनका अगुवा होगा। वह शासक मेरे लोगों में से होगा। वह मेरे नजदीक तब आएंगे जब मैं उनसे ऐसा करने को कहूँगा। अत: मैं उस अगुवा को अपने पास बुलाऊँगा और वह मेरे निकट होगा।
किन्तु मूसा और हारून भूमि पर गिर पड़े और चिल्लाए, “हे परमेश्वर, तू जानता है कि लोग क्या सोच रहे हैं। कृपा करके इस पूरे समूह पर क्रोधित न हो। एक ही व्यक्ति ने सचमुच पाप किया है।”
तो फिर आओ, हम सच्चे हृदय, निश्चयपूर्ण विश्वास अपनी अपराधपूर्ण चेतना से हमें शुद्ध करने के लिए किए गए छिड़काव से युक्त अपने हृदयों को लेकर शुद्ध जल से धोए हुए अपने शरीरों के साथ परमेश्वर के निकट पहुँचते हैं।
इसलिए अपने पापों को परस्पर स्वीकार और एक दूसरे के लिए प्रार्थना करो ताकि तुम भले चंगे हो जाओ। धार्मिक व्यक्ति की प्रार्थना शक्तिशाली और प्रभावपूर्ण होती है।