इब्राहीम ने अपना सिर परमेश्वर को भक्ति दिखाने के लिए जमीन तक झुकाया। लेकिन वह हँसा और अपने से बोला, “मैं सौ वर्ष का बूढ़ा हूँ। मैं पुत्र पैदा नहीं कर सकता और सारा नब्बे वर्ष की बुढ़िया है। वह बच्चों को जन्म नहीं दे सकती।”
मैं तुम्हारे पूर्वजों का परमेश्वर हूँ। मैं इब्राहीम का परमेश्वर इसहाक का परमेश्वर तथा याकूब का परमेश्वर हूँ।” मूसा ने अपना मूँह ढक लिया क्योंकि वह परमेश्वर को देखने से डरता था।
उसके चारों ओर चमकता प्रकाश बादलों में मेघ धनुष सा था। यह यहोवा की महिमा सा दिख रहा था। जैसे ही मैने वह देखा, मैं धरती पर गिर गया। मैंने धरती पर अपना माथा टेका। तब मैंने एक आवाज सम्बोधित करते हुए सुनी।
इसलिये मैं खड़ा हुआ और बाहर घाटी में गया। यहोवा की महिमा वहाँ प्रकट हुआ ठीक वैसा ही, जैसा मैंने उसे कबार नदी के सहारे देखा था। इसलिए मैंने धरती पर अपना सिर झुकाया।
जब वे लोग, लोगों को मारने गए, तो मैं वहीं रूका रहा। मैंने भूमि पर अपना माथा टेकते हुए कहा, “हे मेरे स्वामी यहोवा, यरूशलेम के विरुद्ध अपना क्रोध प्रकट करने के लिये, क्या तू इस्राएल में बचे हुये सभी लोगों को मार रहा है”
किन्तु मूसा और हारून भूमि पर गिर पड़े और चिल्लाए, “हे परमेश्वर, तू जानता है कि लोग क्या सोच रहे हैं। कृपा करके इस पूरे समूह पर क्रोधित न हो। एक ही व्यक्ति ने सचमुच पाप किया है।”
उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, “मैं शत्रु नहीं हूँ। मैं यहोवा की सेना का एक सेनापति हूँ। मैं अभी—अभी तुम्हारे पास आया हूँ।” तब यहोशू ने अपना सिर भूमि तक झुकाया। यह उसने सम्मान प्रकट करने के लिए किया। उसने पूछा, “क्या मेरे स्वामी का मुझ दास के लिए कोई आदेश है?”
मैंने जब उसे देखा तो मैं उसके चरणों पर मरे हुए के समान गिर पड़ा। फिर उसने मुझ पर अपना दाहिना हाथ रखते हुए कहा, “डर मत, मैं ही प्रथम हूँ और मैं ही अंतिम भी हूँ।
मानोह और उसकी पत्नी उसे ध्यान से देख रहे थे, जो हो रहा था। जैसे ही लपटें वेदी से आकाश तक उठीं, वैसे ही यहोवा का दूत अग्नि में आकाश को चला गया। जब मानोह और उसकी पत्नी ने यह देखा तो वे धरती पर गिर गए। उन्होंने अपने सिर को धरती से लगाया।