इस तरह अब्राम ने अपना तम्बू हटाया। वह मम्रे के बड़े पेड़ों के पास रहने लगा। यह हेब्रोन नगर के करीब था। उस जगह पर अब्राम ने एक वेदी यहोवा की उपासना के लिए बनायी।
एक व्यक्ति ने, जो पकड़ा नहीं जा सका था उसने अब्राम (जो हिब्रू था) को ये सारी बातें बतायीं। एमोरी मम्रे के पेड़ों के पास अब्राम ने अपना डेरा डाला था। मम्रे एशकोल और आनेर के एक सन्धि एक दूसरे की मदद के लिए की थी और उन्होंने अब्राम की मदद के लिए भी एक वाचा की थी।
बाद में यहोवा फिर इब्राहीम के सामने प्रकट हुआ। इब्राहीम मस्रे के बांज के पेड़ों के पास रहता था। एक दिन, दिन के सबसे गर्म पहर में इब्राहीम अपने तम्बू के दरवाज़े पर बैठा था।
वे उस जगह पर पहुँचे जहाँ परमेश्वर ने पहुँचने को कहा था। वहाँ इब्राहीम ने एक बलि की वेदी बनाई। इब्राहीम ने वेदी पर लकड़ियाँ रखीं। तब इब्राहीम ने अपने पुत्र को बाँधा। इब्राहीम ने इसहाक को वेदी की लकड़ियों पर रखा।
यूसुफ के पिता ने कहा, “जाओ और देखो कि तुम्हारे भाई सुरक्षित हैं। लौटकर आओ और बताओ कि क्या मेरी भेड़ें ठीक हैं?” इस प्रकार यूसुफ के पिता ने उसे हेब्रोन की घाटी से शकेम को भेजा।
बाद में दाऊद ने यहोवा से प्रार्थना की। दाऊद ने कहा, “क्या मुझे यहूदा के किसी नगर में जाना चाहिये?” यहोवा ने दाऊद से कहा, “जाओ।” दाऊद ने पूछा, “मुझे, कहाँ जाना चाहिये?” यहोवा ने उत्तर दिया, “हेब्रोन को।”
वे नेगेव से होकर तब तक यात्रा करते रहे जब तक वे हेब्रोन नगर को पहुँचे। (हेब्रोन मिस्र में सोअन नगर के बसने के सात वर्ष पहले बना था।) अहीमन, शेशै और तल्मै वहाँ रहते थे। ये लोग अनाक के वंशज थे।
विश्वास के कारण ही जिस धरती को देने का उसे वचन दिया गया था, उस पर उसने एक अनजाने परदेसी के समान अपना घर बनाकर निवास किया। वह तम्बुओं में वैसे ही रहा जैसे इसहाक और याकूब रहे थे जो उसके साथ परमेश्वर की उसी प्रतिज्ञा के उत्तराधिकारी थे।
यहोवा ने यहोशू को आदेश दिया था कि वह यपुन्ने के पुत्र कालेब को यहूदा की भूमि में से हिस्सा दे। इसलिए यहोशू ने कालेब को वह प्रदेश दिया जिसके लिये परमेश्वर ने आदेश दिया था। यहोशू ने उसे किर्यतर्बा का नगर दिया जो हेब्रोन भी कहा जाता था। (अर्बा अनाक का पिता था।)