नाहोर के जन्म के बाद सरुग दो सौ वर्ष और जीवित रहा। इन दिनों में उसके दूसरे पुत्रों और पुत्रियों का जन्म हुआ।
जब सरुग तीस वर्ष का हुआ, उसके पुत्र नाहोर का जन्म हुआ।
जब नाहोर उनतीस वर्ष का हुआ, उसके पुत्र तेरह का जन्म हुआ।