तब परमेश्वर ने कहा, “आकाश में ज्योति होने दो। यह ज्योति दिन को रात से अलग करेंगी। यह ज्योति एक विशेष चिन्ह के रूप में प्रयोग की जाएंगी जो यह बताएंगी कि विशेष सभाएं कब शुरू की जाएं और यह दिनों तथा वर्षों के समय को निश्चित करेंगी।
कुछ बातें ऐसी हैं जिनके बारे में तुम निश्चित हो सकते हो। जैसे बादल वर्षा से भरे हैं तो वे धरती पर पानी बरसाएंगे ही। यदि कोई पेड़ गिरता है चाहे दाहिनी तरफ गिरे, या बायीं तरफगिरता है। वह वहीं पड़ा रहेगा जहाँ वह गिरा है।
यहोवा ही सच्चा परमेश्वर है! वही धरती के चक्र के ऊपर बैठता है! उसकी तुलना में लोग टिड्डी से लगते हैं। उसने आकाशों को किसी कपड़े के टुकड़े की भाँति खोल दिया। उसने आकाश को उसके नीचे बैठने को एक तम्बू की भाँति तान दिया।
किन्तु केवल यहोवा ही सच्चा परमेश्वर है। वह एकमात्र परमेश्वर है जो चेतन है। वह शाश्वत शासक है। जब परमेश्वर क्रोध करता है तो धरती काँप जाती है। राष्ट्रों के लोग उसके क्रोध को रोक नहीं सकते।
यहोवा ने अपनी महान शक्ति का उपयोग किया और पृथ्वी को बनाया। उसने विश्व को बनाने के लिये अपनी बुद्धि का उपयोग किया। उसने अपनी समझ का उपयोग आकाश को फैलाने में किया।