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क्रॉस रेफरेंस
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अय्यूब 9:12

पवित्र बाइबल

यदि परमेश्वर छीनने लगता है तो कोई भी उसे रोक नहीं सकता। कोई भी उससे कह नहीं सकता, ‘तू क्या कर रहा है।’

अध्याय देखें प्रतिलिपि

18 क्रॉस रेफरेंस  

किन्तु राजा ने उत्तर दिया, “सरूयाह के पुत्रो। मैं क्या कर सकता हूँ? निश्चय ही शिमी मुझे शाप दे रहा है। किन्तु यहोवा ने उसे मुझे शाप देने को कहा।”

उसने कहा: “मेरा जब इस संसार के बीच जन्म हुआ था, मैं तब नंगा था, मेरे पास तब कुछ भी नहीं था। जब मैं मरूँगा और यह संसार तजूँगा, मैं नंगा होऊँगा और मेरे पास में कुछ नहीं होगा। यहोवा ही देता है और यहोवा ही ले लेता, यहोवा के नाम की प्रशंसा करो!”

तू जानता है कि मैं निरपराध हूँ। किन्तु मुझे कोई भी तेरी शक्ति से बचा नही सकता।

“यदि परमेश्वर तुझे बंदी बनाये और तुझको न्यायालय में ले जाये, तो कोई भी व्यक्ति उसे रोक नहीं सकता है।

“किन्तु परमेश्वर कभी नहीं बदलता। कोई भी व्यक्ति उसके विरुद्ध खड़ा नहीं रह सकता है। परमेश्वर जो भी चाहता है, करता है।

अय्यूब, तू क्यों शिकायत करता है और क्यों परमेश्वर से बहस करता है? तू क्यों शिकायत करता है कि परमेश्वर तुझे हर उस बात के विषय में जो वह करता है स्पष्ट क्यों नहीं बताता है?

किन्तु यदि परमेश्वर ने गरीब की सहायता न करने का निर्णय लिया तो कोई व्यक्ति परमेश्वर को दोषी नहीं ठहरा सकता है। यदि परमेश्वर उनसे मुख मोड़ता है तो कोई भी उस को नहीं पा सकता है। परमेश्वर जातियों और समूची मानवता पर शासन करता है।

आज्ञाएँ देने का राजा को अधिकार है, कोई नहीं पूछ सकता कि वह क्या कर रहा है।

“मैं तो सदा से ही परमेश्वर रहा हूँ। जब मैं कुछ करता हूँ तो मेरे किये को कोई भी व्यक्ति नहीं बदल सकता और मेरी शक्ति से कोई भी व्यक्ति किसी को बचा नहीं सकता।”

“धिक्कार है इन लोगों को, यें उसी से बहस कर रहे हैं जिसने इन्हें बनाया है। ये किसी टूटे हुए घड़े के ठीकरों के जैसे हैं। कुम्हार नरम गीली मिट्टी से घड़ा बनाता है पर मिट्टी उससे नहीं पूछती ‘अरे, तू क्या कर रहा है?’ वस्तुएँ जो बनायी गयी हैं, वे यह शक्ति नहीं रखतीं कि अपने बनाने वाले से कोई प्रश्न पूछे। ये लोग भी मिट्टी के टूटे घड़े के ठीकरों के जैसे हैं।

“इस्राएल के परिवार, तुम जानते हो कि मैं (परमेश्वर) वैसा ही तुम्हारे साथ कर सकता हूँ। तुम कुम्हार के हाथ की मिट्टी के समान हो और मैं कुम्हार की तरह हूँ।”

तुझे प्रजा से दूर जाना होगा। जंगली पशुओं के साथ तेरा निवास होगा। तू ढ़ोरों की तरह घास खायेगा। इससे पहले कि तू सबक सीखे, सात ऋतु चक्र (वर्ष) बीत जायेंगे। तब तू यह समझेगा कि मनुष्य के राज्यों पर परम प्रधान परमेश्वर शासन करता है और परम प्रधान परमेश्वर जिसे चाहता है, उसे राज्य दे देता है।”

इस धरती के लोग सचमुच बड़े नहीं हैं। परमेश्वर लोगों के साथ जो कुछ चाहता है वह करता है। स्वर्ग की शक्तियों को कोई भी रोक नहीं पाता है। उसका सशक्त हाथ जो कुछ करता है उस पर कोई प्रश्न नहीं कर सकता है।

हाँ परम पिता यह इसलिये हुआ, क्योंकि तूने इसे ही ठीक जाना।

क्या मैं अपने धन का जो चाहूँ वह करने का अधिकार नहीं रखता? मैं अच्छा हूँ क्या तू इससे जलता है?’

शास्त्र कहता है: “प्रभु के मन को कौन जानता है? और उसे सलाह देने वाला कौन हो सकता हैं?”

सब बातें योजना और परमेश्वर के निर्णय के अनुसार की जाती हैं। और परमेश्वर ने अपने निजी प्रयोजन के कारण ही हमें उसी मसीह में संत बनने के लिये चुना है। यह उसके अनुसार ही हुआ जिसे परमेश्वर ने अनादिकाल से सुनिश्चित कर रखा था।




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