“मेरी शक्ति क्षीण हो चुकी है अत: जीते रहने की आशा मुझे नहीं है। मुझ को पता नहीं कि अंत में मेरे साथ क्या होगा इसलिये धीरज धरने का मेरे पास कोई कारण नहीं है।
मेरा जीवन लगभग समाप्त हो चुका है सो मुझे अकेला छोड़ दो। मेरा थोड़ा सा समय जो बचा है उसे मुझे चैन से जी लेने दो।
क्या तू मुझको डरायेगा? मैं (अय्यूब) एक पत्ता हूँ जिसके पवन उड़ाती है। एक सूखे तिनके पर तू प्रहार कर रहा है।
मैं सड़ी वस्तु सा क्षीण होता जाता हूँ कीड़ें से खाये हुये कपड़े के टुकड़े जैसा।”
“मेरा मन टूट चुका है। मेरा मन निराश है। मेरा प्राण लगभग जा चुका है। कब्र मेरी बाट जोह रही है।
“यदि मैं आशा करूँ कि अन्धकारपूर्ण कब्र मेरा घर और बिस्तर होगा।
“मेरी शिकायत लोगों के विरुद्ध नहीं है, मैं क्यों सहनशील हूँ इसका एक कारण नहीं है।
“हे बिल्दद, सोपर और एलीपज जो लोग दुर्बल हैं तुम सचमुच उनको सहारा दे सकते हो। अरे हाँ! तुमने दुर्बल बाँहों को फिर से शक्तिशाली बनाया है।
मैं चट्टान की भाँति सुदृढ़ नहीं हूँ। न ही मेरा शरीर काँसे से रचा गया है।
मेरी शक्ति ने मुझको बिसार दिया है। यहोवा ने मेरा जीवन घटा दिया है।
हे यहोवा, मुझको बता कि मेरे साथ क्या कुछ घटित होने वाला है? मुझे बता, मैं कब तक जीवित रहूँगा? मुझको जानने दे सचमुच मेरा जीवन कितना छोटा है।
हे यहोवा, तूने मुझको बस एक क्षणिक जीवन दिया। तेरे लिये मेरा जीवन कुछ भी नहीं है। हर किसी का जीवन एक बादल सा है। कोई भी सदा नहीं जीता!