“अय्यूब, हमने ये बातें पढ़ी हैं और हम जानते हैं कि ये सच्ची है। अत: अय्यूब सुन और तू इन्हें स्वयं अपने आप जान।”
“निःसन्देह तुम सोचते हो कि मात्र तुम ही लोग बुद्धिमान हो, तुम सोचते हो कि जब तुम मरोगे तो विवेक मर जायेगा तुम्हारे साथ।
अय्यूब ने कहा: “मेरी आँखों ने यह सब पहले देखा है और पहले ही मैं सुन चुका हूँ जो कुछ तुम कहा करते हो। इस सब की समझ बूझ मुझे है।
“अय्यूब, मेरी बात तू सुन और मैं उसकी व्याख्या तुझसे करूँगा। मैं तुझे बताऊँगा, जो मैं जानता हूँ।
“परमेश्वर को कोई भी व्यक्ति सहारा नहीं दे सकता, यहाँ तक की वह भी जो बहुत बुद्धिमान व्यक्ति हो परमेश्वर के लिये हितकर नहीं हो सकता।
तू उस पके गेहूँ जैसा होगा जो कटनी के समय तक पकता रहता है। हाँ, तू पूरी वृद्ध आयु तक जीवित रहेगा।
फिर अय्यूब ने उत्तर देते हुए कहा,
यहोवा ऐसे कर्म करता है, जो आश्चर्यपूर्ण होते हैं। लोग हर उत्तम वस्तु चाहते हैं, वही जो परमेश्वर से आती है।
यदि तू बुद्धिमान है, सदबुद्धि तुझे प्रतिफल देगी। यदि तू उच्छृंखल है, तो अकेला कष्ट पायेगा।
आज मैं जिस यहोवा के नियमों और आदेशों को बता रहा हूँ, उसका पालन करो। ये आदेश और नियम तुम्हारी अपनी भलाई के लिए हैं।