हम ऐसे लोग हैं जिनके पास आँखें नहीं है। नेत्रहीन लोगों के समान हम दीवारों को टटोलते चलते हैं। हम ठोकर खाते हैं और गिर जाते हैं जैसे यह रात हो। दिन के प्रकाश में भी हम मुर्दों की भाँति गिर पड़ते हैं।
तुम्हें दिन के प्रकाश में अन्धे की तरह अपना रास्ता टटोलना पड़ेगा। तुम जो कुछ करोगे उसमें तुम असफल रहोगे। लोग तुम पर बार—बार प्रहार करेंगे और तुम्हारी चीजें चुराएंगे। तुम्हें बचाने वाला वहाँ कोई भी न होगा।