किन्तु अब तुझ पर विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा है और तेरा साहस टूट गया है। विपदा की मार तुझ पर पड़ी और तू व्याकुल हो उठा।
किन्तु जो कुछ उसके पास है, उस सब कुछ को यदि तू नष्ट कर दे तो मैं तुझे विश्वास दिलाता हूँ कि वह तेरे मुँह पर ही तेरे विरुद्ध बोलने लगेगा।”
“हे मेरे मित्रों मुझ पर दया करो, दया करो मुझ पर क्योंकि परमेश्वर का हाथ मुझ को छू गया है।
सो यदि तू अपनी शक्ति का प्रयोग उसके शरीर को हानि पहुँचाने में करे तो तेरे मुँह पर ही वह तुझे कोसने लगेगा!”
जो लोग लड़खड़ा रहे थे तेरे शब्दों ने उन्हें ढाढ़स बंधाया था। तूने निर्बल पैरों को अपने प्रोत्साहन से सबल किया।
“क्योंकि वह जो अपने मित्रों के प्रति निष्ठा दिखाने से इन्कार करता है। वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर का भी अपमान करता है।
हे परमेश्वर, मैं तेरी ओर लौटा और विनती की। मैंने मुझ पर दया दिखाने की विनती की।
यदि तू विपत्ति में हिम्मत छोड़ बैठेगा, तो तेरी शक्ति कितनी थोड़ी सी है।
क्योंकि परमेश्वर के अनुग्रह से यह सेवा हमें प्राप्त हुई है, इसलिए हम निराश नहीं होते।
इसलिए हम निराश नहीं होते। यद्यपि हमारे भौतिक शरीर क्षीण होते जा रहे हैं, तो भी हमारी अंतरात्मा प्रतिदिन नयी से नयी होती जा रही है।
उसका ध्यान करो जिसने पापियों का ऐसा विरोध इसलिए सहन किया ताकि थक कर तुम्हारा मन हार न मान बैठे।
तुम उस साहसपूर्ण वचन को भूल गये हो। जो तुम्हेंपुत्र के नाते सम्बोधित है: “हे मेरे पुत्र, प्रभु के अनुशासन का तिरस्कार मत कर, उसकी फटकार का बुरा कभी मत मान,