क्या परमेश्वर से यह कह दिया जाये कि मैं उस के विरोध में बोलना चाहता हूँ। यह वैसे ही होगा जैसे अपना विनाश माँगना।
“अय्यूब, हमें बता कि हम परमेश्वर से क्या कहें। हम उससे कुछ भी कहने को सोच नहीं पाते क्योंकि हम पर्याप्त कुछ भी नहीं जानते।
देख, कोई भी व्यक्ति चमकते हुए सूर्य को नहीं देख सकता। जब हवा बादलों को उड़ा देती है उसके बाद वह बहुत उजला और चमचमाता हुआ होता है।
मेरी व्यथा समुद्र की समूची रेत से भी अधिक भारी होंगी। इसलिये मेरे शब्द मूर्खतापूर्ण लगते हैं।
हे यहोवा, इससे पहले की शब्द मेरे मुख से निकले तुझको पता होता है कि मैं क्या कहना चाहता हूँ।
किन्तु यहोवा इससे भिन्न है! यहोवा अपने पवित्र मन्दिर में रहता है। इसलिये यहोवा के सामने सम्पूर्ण पृथ्वी धरती को चुप रह कर उसके प्रति आदर प्रकट करना चाहिए।