वहाँ के सभी सुन्दर भवनों में काँटे और जंगली झाड़ियाँ उग आयेंगी। जंगली कुत्ते और उल्लू उन मकानों में वास करेंगे। परकोटों से युक्त नगरों को जंगली जानवर अपना निवास बना लेंगे। वहाँ जो घास उगेगी उसमें बड़े—बड़े पक्षी रहेंगे।
मैं कबूतर सा रोता रहा। मैं एक पक्षी जैसा रोता रहा। मेरी आँखें थक गयी तो भी मैं लगातर आकाश की तरफ निहारता रहा। मेरे स्वामी, मैं विपत्ति में हूँ मुझको उबारने का वचन दे।”
मैं इस शीघ्र आने वाले विनाश के कारण व्याकुल होऊँगा और हाय—हाय करूँगा। मैं जूते न पहनूँगा और न वस्त्र धारण करूँगा। गीदड़ों के जैसे मैं जोर से चिल्लाऊँगा। मैं विलाप करूँगा जैसे शुतुर्मुर्ग करते हैं।