मेरे बोल चुकने के बाद, उन लोगों के पास जो मेरी बात सुनते थे, कुछ भी बोलने को नहीं होता था। मेरे शब्द धीरे—धीरे उनके कानों में वर्षा की तरह पड़ा करते थे।
यहूदा के लोग कभी अपने से नहीं कहते, ‘हमें अपने परमेश्वर यहोवा से डरना और उसका सम्मान करना चाहिए। वह हमे ठीक समय पर पतझड़ और बसन्त की वर्षा देता है। वे यह निश्चित करता है कि हम ठीक समय पर फसल काट सकें।’
आओ, यहोवा के विषय में जानकारी करें। आओ, यहोवा को जानने का कठिन जतन करें। हमको इसका पता है कि वह आ रहा है वैसे ही जैसे हम को ज्ञान है कि प्रभात आ रहा है। यहोवा हमारे पास वैसे ही आयेगा जैसे कि बसंत कि वह वर्षा आती है जो धरती को सींचती है।