फिर वे तीनों मित्र अय्यूब के साथ सात दिन और सात रात तक भूमि पर बैठे रहे। अय्यूब से किसी ने एक शब्द तक नहीं कहा क्योंकि वे देख रहे थे कि अय्यूब भयानक पीड़ा में था।
जब मैंने इस विषय में सुना, मैंने अपना लबादा और अंगरखा यह दिखाने के लिये फाड़ डाला कि मैं बहुत परेशान हूँ। मैंने अपने सिर और दाढ़ी के बाल नोंच डाले। मैं दु:खी और अस्त व्यस्त बैठ गया।
मैंने जब यरूशलेम के लोगों और नगर परकोटे के बारे मैं वे बातें सुनीं तो में बहुत व्याकुल हो उठा। मैं बैठ गया और चिल्ला उठा। मैं बहुत व्याकुल था। बहुत दिन तक मैं स्वर्ग के परमेश्वर से प्रार्थना करते हुए उपवास करता रहा।
नगर द्वार के निकट सभा स्थलों में रोना बिलखना और दुःख ही फैला होगा। यरूशलेम उस स्त्री के समान हर वस्तु से वंचित हो जायेगी जिसका सब कुछ चोर और लुटेरे लूट गये हों। वह धरती पर बैठेगी और बिलखेगी।
सिय्योन के बुजुर्ग अब धरती पर बैठते हैं। वे धरती पर बैठते हैं और चुप रहते है। अपने माथों पर धूल मलते हैं और शोक वस्त्र पहनते हैं। यरूशलेम की युवतियाँ दु:ख में अपना माथा धरती पर नवाती हैं।
मैं इस्राएल के उन लोगों के पास गया जो तेलाबीब में रहने को विवश किये गए थे। ये लोग कबार नदी के सहारे रहते थे। मैंने वहाँ के निवासियों को अभिवादन किया। मैं वहाँ सात दिन ठहरा और उन्हें यहोवा की कही गई बातों को बताया।