हे परमेश्वर, क्या तू मुझे चोट पहुँचा कर प्रसन्न होता है? ऐसा लगता है जैसे तुझे अपनी सृष्टि की चिंता नहीं है और शायद तू दुष्टों के कुचक्रों का पक्ष लेता है।
“सचमुच परमेश्वर जीता है और यह जितना सत्य है कि परमेश्वर जीता है सचमुच वह वैसे ही मेरे प्रति अन्यायपूर्ण रहा है। हाँ! सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने मेरे जीवन में कड़वाहट भरी है।
हे परमेश्वर, तू लोगों पर दृष्टि रखता है। यदि मैंने पाप किया, तब मैं क्या कर सकता हूँ तूने मुझको क्यों निशाना बनाया है? क्या मैं तेरे लिये कोई समस्या बना हूँ?
वह भाग निकलने का प्रयत्न करेगा। किन्तु मैं (परमेश्वर) उसे पकड़ लूँगा! वह मेरे जाल में फँस जाएगा और मैं उसे बाबुल लाऊँगा जो कसदियों के लोगों का देश है। किन्तु वह देख नहीं पाएगा कि वह कहाँ जा रहा है। शत्रु उसकी आँखे निकाल लेगा और उसे अन्धा कर देगा।
वे उन देशों की शरण में जाते हैं किन्तु मैं जाल में उनको फसाऊँगा, मैं अपना जाल उनके ऊपर फेंकूँगा। मैं उनको ऐसे नीचे खींच लूँगा जैसे गगन के पक्षी खेंच लिये जाते हैं। मैं उनको उनकी वाचाओं का दण्ड दूँगा।