बीते समय में तुमने फ़सलें लगाईं और वे अच्छी उगीं। लेकिन अब तुम फसल बोओगे और जमीन तुम्हारी फसल अच्छी होने में मदद नहीं करेगी। तुम्हें पृथ्वी पर घर नहीं मिलेगा। तुम जगह जगह भटकोगे।”
दुष्ट जन बहुत अधिक निराश रहता है और उसके लिये कोई आशा नहीं है, कि वह अंधकार से बच निकल पाये। कहीं एक ऐसी तलवार है जो उसको मार डालने की प्रतिज्ञा कर रही है।
किन्तु मैं तेरी प्रशंसा के गीत गाऊँगा। हर सुबह मैं तेरे प्रेम में आनन्दित होऊँगा। क्यों क्योंकि तू पर्वतों के ऊपर मेरा शरणस्थल है। मैं तेरे पास आ सकता हूँ, जब मुझे विपत्तियाँ घेरेंगी।
तुम्हें अपने जीवन के हर दिन का आनन्द उठाना चाहिये! तुम चाहे कितनी ही लम्बी आयु पाओ। पर याद रखना कि तुम्हें मरना है और तुम जितने समय तक जिए हो उससे कहीं अधिक समय तक तुम्हें मृत रहना है और मर जाने के बाद तो तुम कुछ कर नहीं सकते।
वह दिन अंधकार भरा होगा, वह दिन उदासी का होगा, वह दिन काला होगा और वह दिन दुर्दिन होगा। भोर की पहली किरण के साथ तुम्हें पहाड़ पर सेना फैलती हुई दिखाई देगी। वह सेना विशाल और शक्तिशीली भी होगी। ऐसा पहले तो कभी भी घटा नहीं था और आगे भी कभी ऐसा नहीं घटेगा, न ही भूत काल में, न ही भविष्य में।
उस समय परमेश्वर अपना क्रोध प्रकट करेगा। यह भयंकर विपत्तियों का समय होगा। यह विध्वंस का समय होगा। यह काले, घिरे हुए बादल और तूफानी दिन के अन्धकार का समय होगा।