मेरी यह कामना है कि तुम पूरी तरह चुप हो जाओ, यह तुम्हारे लिये बुद्धिमत्ता की बात होगी जिसको तुम कर सकते हो!
अय्यूब, क्या तुम सोचते हो कि हमारे पास तुम्हारे लिये उत्तर नहीं है? क्या तुम सोचते हो कि जब तुम परमेश्वर पर हंसते हो तो कोई तुम्हें चेतावनी नहीं देगा।
“चुप रहो और मुझको कह लेने दो। फिर जो भी होना है मेरे साथ हो जाने दो।
“अब, मेरी युक्ति सुनो! सुनो जब मैं अपनी सफाई दूँ।
तुम्हारी व्यर्थ की लम्बी बातें कभी समाप्त नहीं होती। तुम क्यों तर्क करते ही रहते हो?
“अय्यूब, इस तरह की बातें करना तू कब छोड़ेगा तुझे चुप होना चाहिये और फिर सुनना चाहिये। तब हम बातें कर सकते हैं।
“कब तक तुम मुझे सताते रहोगे और शब्दों से मुझको तोड़ते रहोगे?
तू मुझ को देख और तू स्तंभित हो जा, अपना हाथ अपने मुख पर रख और मुझे देख और स्तब्ध हो।
फिर अय्यूब के तीनों मित्रों ने अय्यूब को उत्तर देने का प्रयत्न करना छोड़ दिया। क्योंकि अय्यूब निश्चय के साथ यह मानता था कि वह स्वयं सचमुच दोष रहित हैं।
ये तीनों लोग यहाँ चुप खड़े हैं और उनके पास उत्तर नहीं है। सो क्या अभी भी मुझको प्रतिक्षा करनी होगी?
मूर्ख भी जब तक नहीं बोलता शोभता है। और यदि निज वाणी रोके रखे तो ज्ञानी जाना जाता है।
अति चिंता से बुरे स्वपन आया करते हैं। और अधिक बोलने से मूर्खता उपजती है।
उस समय बुद्धिमान चुप रहेंगे। क्यों क्योंकि यह बुरा समय है।
हे मेरे प्रिय भाईयों, याद रखो, हर किसी को तत्परता के साथ सुनना चाहिए, बोलने में शीघ्रता मत करो, क्रोध करने में उतावली मत बरतो।