काश! मैं जीवित न रहता। काश! माता के गर्भ से सीधे ही कब्र में उतारा जाता।
सो हे परमेश्वर, तूने मुझको क्यों जन्म दिया? इससे पहले की कोई मुझे देखता काश! मैं मर गया होता।
मेरा जीवन लगभग समाप्त हो चुका है सो मुझे अकेला छोड़ दो। मेरा थोड़ा सा समय जो बचा है उसे मुझे चैन से जी लेने दो।
यद्यपि मेरा मुख सघन अंधकार ढकता है तो भी अंधकार मुझे चुप नहीं कर सकता है।
मैं क्यों न मर गया जब मैं पैदा हुआ था? जन्म के समय ही मैं क्यों न मर गया?
क्यों नहीं मैं ऐसा बालक हुआ जो जन्म लेते ही मर गया हो। काश! मैं एक ऐसा शिशु होता जिसने दिन के प्रकाश को नहीं देखा।
वे घोंघे के समान हो जो चलने में गल जाते। वे उस शिशु से हो जो मरा ही पैदा हुआ, जिसने दिन का प्रकाश कभी नहीं देखा।
तूने मुझे माँ के पेट में ही, क्यों न मार डाला तब मेरी माँ की कोख कब्र बन जाती, और मैं कभी जन्म नहीं ले सका होता।