“किन्तु हाय, अब मैं वैसा नहीं कर सकता। मुझ को स्वयं अपने जीवन से घृणा हैं अत: मैं मुक्त भाव से अपना दुखड़ा रोऊँगा। मेरे मन में कड़वाहट भरी है अत: मैं अबबोलूँगा।
तब एलिय्याह पूरे दिन मरूभूमि में चला। एलिय्याह एक झाड़ी के नीचे बैठा। उसने मृत्यु की याचना की। एलिय्याह ने कहा, “यहोवा यह मेरे लिये बहुत है मुझे मरने दे। मैं अपने पूर्वजों से अधिक अच्छा नहीं हूँ।”
मैं और क्या कह सकता हूँ मेरे स्वामी ने मुझ को बताया है जो कुछ भी घटेगा, और मेरा स्वामी ही उस घटना को घटित करेगा। मैंने इन विपत्तियों को अपनी आत्मा में झेला है इसलिए मैं जीवन भर विनम्र रहूँगा।
देखो! मेरी विपत्तियाँ समाप्त हुई! अब मेरे पास शांति है। तू मुझ से बहुत अधिक प्रेम करता है! तूने मुझे कब्र में सड़ने नहीं दिया। तूने मेरे सब पाप क्षमा किये! तूने मेरे सब पाप दूर फेंक दिये।
सूरज जब आकाश में ऊपर चढ़ चुका था, परमेश्वर ने पुरवाई की गर्म हवाएँ चला दीं। योना के सिर पर सूरज चमक रहा था, और योना एक दम निर्बल हो गया था। योना ने परमेश्वर से चाहा कि वह वह उसे मौत दे दे। योना ने कहा, “मेरे लिये जीवित रहने से अच्छा है कि मैं मर जाऊँ।”
यदि तू उनके कष्ट को मुझे देकर चलाते रहना चाहता है तो तू मुझे अभी मार डाल। यदि तू मुझे अपना सेवक मानता है तो अभी मुझे मर जाने दे। तब मेरे सभी कष्ट समाप्त हो जाएंगे!”