तब दाऊद गिनती करने के बाद लज्जित हुआ। दाऊद ने यहोवा से कहा, “मैंने यह कार्य कर के बहुत बड़ा पाप किया! यहोवा, मैं प्रार्थना करता हूँ कि तू मेरे पाप को क्षमा कर। मैंने बड़ी मूर्खता की है।”
तब दाऊद ने नातान से कहा, “मैंने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है।” नातान ने दाऊद से कहा, “यहोवा तुम्हें क्षमा कर देगा, यहाँ तक की इस पाप के लिये भी तुम मरोगे नहीं।
दाऊद ने उस स्वर्गदूत को देखा जिसने लोगों को मारा। दाऊद ने यहोवा से बातें कीं। दाऊद ने कहा, “मैंने पाप किया है। मैंने गलती की है। किन्तु इन लोगों ने मेरा अनुसरण भेड़ की तरह किया। उन्होंने कोई गलती नहीं की। कृपया दण्ड मुझे और मेरे पिता के परिवार को दें।”
“कभी—कभी वे तेरे विरुद्ध पाप करेंगे, और तू उनकी भूमि पर वर्षा होना बन्द कर देगा। तब वे इस स्थान की ओर मुँह करके प्रार्थना करेंगे और तेरे नाम की स्तुति करेंगे। तू उनको कष्ट सहने देगा और वे अपने पापों के लिये पश्चाताप करेंगे।
तब दाऊद ने परमेश्वर से कहा, “मैंने एक बहुत मूर्खतापूर्ण काम किया है। मैंने इस्राएल के लोगों की गणना करके बुरा पाप किया है। अब, मैं प्रार्थना करता हूँ कि तू इस सेवक के पापों को क्षमा कर दे।”
यहोवा की आँखें सारी पृथ्वी पर उन लोगों को देखती फिरती हैं जो उसके प्रति श्रद्धालु हैं जिससे वह उन लोगों को शक्तिशाली बना सके। आसा, तुमने मूर्खतापूर्ण काम किया। इसलिये अब से लेकर आगे तक तुमसे युद्ध होंगे।”
किन्तु हिजकिय्याह और यरूशलेम में रहने वाले लोगों ने अपने हृदय तथा जीवन को बदल दिया। वे विनम्र हो गये और घमण्ड करना छोड़ दिया। इसलिये जब तक हिजकिय्याह जीवित रहा यहोवा का क्रोध उस पर नहीं उतरा।
क्यों तू मेरी गलतियों को क्षमा नहीं करता और मेरे पापों को क्यों तू माफ नहीं करता है? मैं शीघ्र ही मर जाऊँगा और कब्र में चला जाऊँगा। जब तू मुझे ढूँढेगा किन्तु तब तक मैं जा चुका होऊँगा।”
किन्तु फिर मैंने यहोवा के समक्ष अपने सभी पापों को मानने का निश्चय कर लिया है। हे यहोवा, मैंने तुझे अपने पाप बता दिये। मैंने अपना कोई अपराध तुझसे नहीं छुपाया। और तूने मुझे मेरे पापों के लिए क्षमा कर दिया!
जो बातें तुझे कहनी हैं, उनके बारे में सोच और यहोवा की ओर लौट आ। उससे कह, “हमारे पापों को दूर कर और उन अच्छी बातों को स्वीकार कर जिन्हें हम कर रहे हैं। हम अपने मुख से तेरी स्तुति करेंगे।”
जब लोगों ने यह सुना तो सबसे पहले बूढ़े लोग और फिर और भी एक-एक करके वहाँ से खिसकने लगे और इस तरह वहाँ अकेला यीशु ही रह गया। यीशु के सामने वह स्त्री अब भी खड़ी थी।
यह मैं इसलिए बता रहा हूँ क्योंकि एक समय था, जब हम भी मूर्ख थे। आज्ञा का उल्लंघन करते थे। भ्रम में पड़े थे। तथा वासनाओं एवं हर प्रकार के सुख-भोग के दास बने थे। हम दुष्टता और ईर्ष्या में अपना जीवन जीते थे। हम से लोग घृणा करते थे तथा हम भी परस्पर एक दूसरे को घृणा करते थे।
यदि हम अपने पापों को स्वीकार कर लेते हैं तो हमारे पापों को क्षमा करने के लिए परमेश्वर विश्वसनीय है और न्यायपूर्ण है और समुचित है। तथा वह सभी पापों से हमें शुद्ध करता है।
शमूएल ने कहा, “तुमने मूर्खता का काम किया! तुमने अपने परमेश्वर यहोवा के आदेश का पालन नहीं किया। यदि तुमने परमेश्वर के आदेश का पालन किया होता तो परमेश्वर ने तुम्हारे परिवार को सदा के लिये इस्राएल पर शासन करने दिया होता।
दाऊद ने अपने लोगों से कहा, “यहोवा मुझे अपने स्वामी के साथ कुछ भी ऐसा करने से रोके। शाऊल यहोवा का चुना हुआ राजा है। मुझे शाऊल के विरुद्ध कुछ नहीं करना चाहिए वह यहोवा का चुना हुआ राजा है।”
तब शाऊल ने कहा, “मैंने पाप किया है। मेरे पुत्र दाऊद लौट आओ। आज तुमने दिखा दिया कि मेरा जीवन तुम्हारे लिये महत्व रखता है। इसलिये मैै तुम्हें चोट पहुँचाने का प्रयत्न नहीं करूँगा। मैंने मूर्खतापूर्ण काम किया है। मैंने एक भंयकर भूल की है।”