सीनै पर्वत धुएँ से ढका था। पर्वत से धुआँ इस प्रकार उठा जैसे किसी भट्टी से उठता है। यह इसलिए हुआ कि यहोवा आग में पर्वत पर उतरे और साथ ही सारा पर्वत भी काँपने लगा।
देखो! दूर से यहोवा का नाम आ रहा है। उसका क्रोध एक ऐसी अग्नि के समान है जो धुएँ के काले बादलों से युक्त है। यहोवा का मुख क्रोध से भरा हुआ है। उसकी जीभ एक जलती हुई लपट जैसी है।
तोपेत को बहुत पहले से ही तैयार कर लिया गया है। राजा के लिये यह तैयार है। यह भट्टी बहुत गहरी और बहुत चौड़ी बनायी गयी है। वहाँ लकड़ी का एक बहुत बड़ा ढेर और आग मौजूद है। यहोवा की आत्मा जलती हुई गंधक की नदी के रुप में आयेगी और इसे भस्म कर के नष्ट कर देगी।
यहूदा के लोगों, मैं तुम्हें तुम्हारे शत्रुओं का दास बनाऊँगा। तुम उस देश में दास होगे जिसे तुमने कभी जाना नहीं। मैं बहुत क्रोधित हुआ हूँ। मेरा क्रोध तप्त अग्नि सा है और तुम जला दिये जाओगे।”
सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा ने यह सब कहा, “उन लोगों ने कहा कि मैं उन्हें दण्ड नहीं दूँगा। अत: यिर्मयाह, जो सन्देश मैं तुझे दे रहा हूँ, वह आग जैसा होगा और वे लोग लकड़ी जैसे होंगे। आग सारी लकड़ी जला डालेगी।”