योआब और उसके लोग आबेल और बेतमाका आए। योआब की सेना ने नगर को घेर लिया। उन्होंने नगर दीवार के सहारे मिट्टी के ढेर लगाए। ऐसा करने के बाद वे दीवार के ऊपर चढ़ सकते थे। तब योआब के सैनिकों ने दीवार से पत्थरों को तोड़ना प्रारम्भ किया। वे दीवार को गिरा देना चाहते थे।
राजा बेन्हदद ने आसा के सन्देश को स्वीकार किया। अतः उसने इस्राएल के नगरों के विरुद्ध लड़ने के लिये अपनी सेना भेजी। बेन्हदद ने इय्योन, दान, आबेल्वेत्माका और गलीली झील के चारों ओर के नगरों को पराजित किया। उसने सारे नप्ताली क्षेत्र को हराया।
अश्शूर का राजा तिग्लत्पिलेसेर इस्राएल के विरुद्ध लड़ने आया। यह वही समय था जब पेकह इस्राएल का राजा था। तिग्लत्पिलेसेर ने इय्योन, अबेल्बेत्माका, यानोह, केदेश, हासोर, गिलाद गालील और नप्ताली के सारे क्षेत्र पर अधिकार कर लिया। तिग्लत्पिलेसेर इन स्थानों से लोगों को बन्दी बनाकर अश्शूर ले गया।
बेन्हदद ने आसा की बात मान ली। बेन्हदद ने अपनी सेना के सेनापतियों को इस्राएल के नगरों पर आक्रमण करने के लिये भेजा। इन सेनापतियों ने इय्योन, दान और आबेल्मैम नगरों पर आक्रमण किया। उन्होंने नप्ताली देश में उन सभी नगरों पर आक्रमण किया जहाँ खजाने रखे थे।
इस्राएल के लोगों ने उस स्थान को छोड़ा और उन्होंने बैर की यात्रा की। इस स्थान पर एक कुँआ था। यहोवा ने मूसा से कहा, “यहाँ सभी लोगों को इकट्ठा करो और मैं उन्हें पानी दूँगा।”