इस्राएली के सभी परिवार समूहों के लोग आपस में तर्क—विर्तक करने लगे। उन्होंने कहा, “राजा दाऊद ने हमें पलिश्तियों और हमारे अन्य शत्रुओं से बचाया। दाऊद अबशालोम के सामने भाग खड़ा हुआ।
तब दाऊद ने यरूशलेम में रहने वाले अपने सभी सेवकों से कहा, “हम लोगों को बच निकलना चाहिये! यदि हम बच नहीं निकलते तो अबशालोम हम लोगों को निकलने नहीं देगा। अबशालोम द्वारा पकड़े जाने के पहले हम लोग शीघ्रता करें। नहीं तो वह हम सभी को नष्ट कर देगा और वह यरूशलेम के लोगों को मार डालेगा।”
तूने तब भी मुझे बचाया है, जब मेरे लोगों ने मेरे विरुद्ध लड़ाई की। तूने मुझे राष्ट्रों का शासक बनाये रखा, वे लोग भी मेरी सेवा करेंगे, जिन्हें मैं नहीं जानता।
तब दाऊद बालपरासीम आया। वहाँ उसने पलिश्तियों को हराया। दाऊद ने कहा, “यहोवा ने मेरे सामने मेरे शत्रुओं की सेना को इस प्रकार दौड़ भगाया जैसे जल बांध को तोड़ कर बहता है।” यही कारण है कि दाऊद ने उस स्थान का नाम “बालपरासीम” रखा।
इसलिए मैंने लोगों से कहा, ‘यदि तुम्हारे पास सोने की अंगूठियाँ हों तो उन्हें मुझे दे दो।’ लोगों ने मुझे अपना सोना दिया। मैंने इस सोने को आग में फेंका और उस आग से यह बछड़ा आया।”
शाऊल ने उनसे कहा, “दाऊद से यह कहो, ‘दाऊद, राजा यह नहीं चाहता कि तुम उसकी पुत्री के लिये धन दो! शाऊल अपने शत्रुओं से बदला लेना चाहता है। इसलिए विवाह करने के लिये कीमत के रूप में केवल सौ पलिश्तियों की खलडियाँ हैं।’” यह शाऊल की गुप्त योजना थी। शाऊल ने सोचा कि पलिश्ती इस प्रकार दाऊद को मार डालेंगे।
दाऊद अपने जीवन पर खेला था जब उसने पलिश्ती (गोलियत) को मारा था। यहोवा ने सारे इस्राएल के लिये एक बड़ी विजय प्राप्त की थी। आपने उसे देखा और आप उस पर बड़े प्रसन्न थे। आप दाऊद को हानि क्यों पहुँचाना चाहते हैं? वह निरपराध है। उसे मार डालने का कोई कारण नहीं है!”