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क्रॉस रेफरेंस
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2 शमूएल 15:30

पवित्र बाइबल

दाऊद जैतूनों के पर्वत पर चढ़ा। वह रो रहा था। उसने अपना सिर ढक लिया और वह बिना जूते के गया। दाऊद के साथ के सभी व्यक्तियों ने भी अपना सिर ढक लिया। वे दाऊद के साथ रोते हुए गए।

अध्याय देखें प्रतिलिपि

21 क्रॉस रेफरेंस  

इसलिये सादोक और एब्यातार परमेश्वर का पवित्र सन्दूक वापस यरूशलेम ले गए और वहीं ठहरे।

राजा ने अपना मुँह ढक लिया था। वह फूट—फूट कर रो रहा था, “मेरे पुत्र अबशालोम, ऐ अबशलोम। मेरे पुत्र, मेरे बेटे!”

योआब राजा के महल में आया। योआब ने राजा से कहा, “आज तुम अपने सभी सेवकों के मुँह को भी लज्जा से ढके हो! आज तुम्हारे सेवकों ने तुम्हारा जीवन बचाया। उन्होंने तुम्हारे पुत्रों, पुत्रियों, पत्नियों, और दासियों के जीवन को बचाया।

इसके बाद मोर्दकै फिर राजद्वार पर चला गया किन्तु हामान तुरन्त अपने घर की ओर चल दिया। उसने अपना सिर छुपाया हुआ था क्योंकि वह परेशान और लज्जित था।

रात दिन मेरे आँसू ही मेरा खाना और पीना है! हर समय मेरे शत्रु कहते हैं, “तेरा परमेश्वर कहाँ है?”

मैं इतना दु:खी क्यों हुँ? मैं क्यों इतना व्यकुल हूँ? मुझे परमेश्वर के सहारे की बाट जोहनी चाहिए। मुझे अब भी उसकी स्तुती का अवसर मिलेगा। वह मुझे बचाएगा।

किन्तु तुम्हें अपना शोक—रूदन बहुत मन्द रखना चाहिए। अपनी मृत पत्नी के लिये जोर से न रोओ। तुम्हें सामान्य नित्य के वस्त्र पहनने चाहिए। अपनी पगड़ी और अपने जूते पहनो। अपने शोक को प्रकट करने के लिये अपनी मूँछे न ढको और वह भोजन न करो जो प्राय: किसी के मरने पर लोग करते हैं।”

तुम अपनी पगड़ियाँ और अपने जूते पहनोगे। तुम अपना शोक नहीं प्रकट करोगे। तुम रोओगे नहीं। किन्तु तुम अपने पाप के कारण बरबाद होते रहोगे। तुम चुपचाप अपनी आहें एक दूसरे के सामने भरोगे।

उस समय, वह जैतुन के पर्वत पर खड़े होंगा। वह पहाड़ी जो यरूशलेम के पूर्व है। अंजीर का पर्वत फट पड़ेगा। पर्वत एक भाग उत्तर को जाएगा दसरा भाग दक्षिण को। एक गहरी घाटी पूर्व से पश्चिम तक उभर आएगी।

धन्य हैं वे जो शोक करते हैं, क्योंकि परमेश्वर उन्हें सांत्वना देता है

और फिर जब वह बैतफगे और बैतनिय्याह में उस पहाड़ी के निकट पहुँचा जो जैतून की पहाड़ी कहलाती थी तो उसने अपने दो शिष्यों को यह कह कर भेजा,

और फिर जब वह जैतून की पहाड़ी से तलहटी के पास आया तो शिष्यों की समूची भीड़ उन सभी अद्भुत कार्यो के लिये, जो उन्होंने देखे थे, ऊँचे स्वर में प्रसन्नता के साथ परमेश्वर की स्तुति करने लगी।

जब उसने पास आकर नगर को देखा तो वह उस पर रो पड़ा।

प्रतिदिन वह मन्दिर में उपदेश दिया करता था किन्तु, रात बिताने के लिए वह हर साँझ जैतून नामक पहाड़ी पर चला जाता था।

फिर वह वहाँ से उठ कर नित्य प्रति की तरह जैतून—पर्वत चला गया। और उसके शिष्य भी उसके पीछे पीछे हो लिये। वह जब उस स्थान पर पहुँचा तो उसने उनसे कहा, “प्रार्थना करो कि तुम्हें परीक्षा में न पड़ना पड़े।”

फिर वे जैतून नाम के पर्वत से, जो यरूशलेम से कोई एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, यरूशलेम लौट आये।

जो प्रसन्न हैं उनके साथ प्रसन्न रहो। जो दुःखी है, उनके दुःख में दुःखी होओ।

यदि शरीर का कोई एक अंग दुख पाता है तो उसके साथ शरीर के और सभी अंग दुखी होते हैं। यदि किसी एक अंग का मान बढ़ता है तो सभी अंग हिस्सा बाटते हैं।




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