तब इसहाक लड़की को अपनी माँ के तम्बू में ले आया। उसी दिन इसहाक ने रिबका से विवाह कर लिया। वह उससे बहुत प्रेम करता था। अतः उसे उसकी माँ की मृत्यु के पश्चात् भी सांत्वना मिली।
याकूब के सभी पुत्रों, पुत्रियों ने उसे धीरज बँधाने का प्रयत्न किया। किन्तु याकूब कभी धीरज न धर सका। याकूब ने कहा, “मैं मरने के दिन तक अपने पुत्र यूसुफ के शोक में डूबा रहूँगा।”
बाद में शुआ की पुत्री यहूदा की पत्नी मर गई। यहूदा अपने शोक के समय के बाद अदुल्लाम के अपने मित्र हीरा के साथ तिम्नाथ गया। यहूदा अपनी भेड़ों का ऊन काटने तिम्नाथ गया।
“तुम्हारे पुत्र और तुम्हारी पुत्रियाँ दूसरी जाति के लोगों को दे दी जाएँगी। तुम्हारी आँखे सारे दिन बच्चों को देखने के लिये टकटकी लगाए रहेंगी क्योंकि तुम बच्चों को देखना चाहोगे। किन्तु तुम प्रतीक्षा करते—करते कमजोर हो जाओगे, तुम असहाय हो जाओगे।