जिस समय एलीशा अग्रजों (प्रमुखों) से बातें कर ही रहा था, सन्देशवाहक उसके पास आया। सन्देश यह थाः “यह विपत्ति यहोवा की ओर से आई है! मैं यहोवा की प्रतीक्षा आगे और क्यों करुँ”
एलीशा ने कहा, “यहोवा की ओर से सन्देश सुनो! यहोवा कहता हैः ‘लगभग इसी समय कल बहुत सी भोजन सामग्री हो जाएगी और यह फिर सस्ती भी हो जाएगी। शोमरोन के फाटक के साथ बाजार में लोग एक डलिया अच्छा आटा या दो डलिया जौ एक शेकेल में खरीद सकेंगें।’”
उसने कहा: “मेरा जब इस संसार के बीच जन्म हुआ था, मैं तब नंगा था, मेरे पास तब कुछ भी नहीं था। जब मैं मरूँगा और यह संसार तजूँगा, मैं नंगा होऊँगा और मेरे पास में कुछ नहीं होगा। यहोवा ही देता है और यहोवा ही ले लेता, यहोवा के नाम की प्रशंसा करो!”
जो व्यक्ति यहोवा का आदर करता है उसे उसके सेवक की भी सुननी चाहिये। वह सेवक, आगे क्या होगा, इसे जाने बिना ही परमेश्वर में पूरा विश्वास रखते हुए अपना जीवन बिताता है। वह सचमुच यहोवा के नाम में विश्वास रखता है और वह सेवक अपने परमेश्वर के भरोसे रहता है।
वह वाचा यह है: मैं सहायता पाने के लिये यहोवा की प्रतीक्षा करुँगा। यहोवा याकूब के घराने से लज्जित है। वह उनको देखना तक नहीं चाहता है। किन्तु मैं यहोवा की प्रतीक्षा करुँगा, वह हमारी रक्षा करेगा।
यदि तुम उन गलत आज्ञाओं पर चलोगे, तो तुम्हारे देश पर विपत्ति आयेगी और भूखमरी फैलेगी। लोग भूखे मरेंगे। फिर वे क्रोधित होंगे और अपने राजा और अपने देवताओं के विरुद्ध बातें कहेंगे। इसके बाद वे सहायता के लिये परमेश्वर की ओर निहारेंगे।
यहूदा, देवमूर्तियों के पीछे दौड़ना बन्द करो। उन अन्य देवताओं के लिये प्यास को बुझ जाने दो। किन्तु तुम कहते हो, ‘यह व्यर्थ है! मैं छोड़ नहीं सकता! मैं उन अन्य देवताओं से प्रेम करता हूँ। मैं उनकी पूजा करना चाहता हूँ।’
“अत: मनुष्य के पुत्र, इस्राएल के परिवार से मेरे लिये कहो। वे लोग कह सकते हैं, ‘हम लोगों ने पाप किया है और नियमों को तोड़ा है। हमारे पाप हमारी सहनशक्ति के बाहर हैं। हम उन पापों के कारण नाश हो रहे हैं। हम जीवित रहने के लिये क्या कर सकते हैं।’
यह संदेश आगे आने वाले एक विशेष समय के बारे में है। यह संदेश अंत समय के बारे में है और यह सत्य सिद्ध होगा! ऐसा लग सकता है कि वैसा समय तो कभी आयेगा ही नहीं। किन्तु धीरज के साथ उसकी प्रतीक्षा कर। वह समय आयेगा और उसे देर नहीं लगेगी।
शाऊल ने अपने उस नौकर से, जो कवच ले कर चल रहा था, कहा, “अपनी तलवार निकालो और मुझे मार डालो। तब वे विदेशी मुझे चोट पहुँचाने और मेरा मजाक उड़ाने नहीं आएंगे।” किन्तु शाऊल के कवचवाहक ने ऐसा करना अस्वीकार कर दिया। शाऊल का सहायक बहुत भयभित था। इसलिये शाऊल ने अपनी तलवार ली और अपने को मार डाला।