अत: हम ने अपने पुत्र को पकाया और खाया। तब दूसरे दिन मैंने इस स्त्री से कहा, ‘अपने पुत्र को दो जिससे हम उसे मार सकें और खा सकें।’ किन्तु उसने अपने पुत्र को छिपा दिया है।”
दूसरी स्त्री ने कहा, “यह ठीक है। बच्चे को दो टुकड़ों में काट डालो। तब हम दोनों में से उसे कोई नहीं पाएगा।” किन्तु पहली स्त्री, जो सच्ची माँ थी, अपने बच्चे के लिये प्रेम से भरी थी। उसने राजा से कहा, “कृपया बच्चे को न मारें! इसे उसे ही दे दें।”
किन्तु यहोवा कहता है, “क्या कोई स्त्री अपने ही बच्चों को भूल सकती है नहीं! क्या कोई स्त्री उस बच्चे को जो उसकी ही कोख से जन्मा है, भूल सकती है नहीं! सम्भव है कोई स्त्री अपनी सन्तान को भूल जाये। परन्तु मैं (यहोवा) तुझको नहीं भूल सकता हूँ।
उन दिनों ऐसी स्त्रियों ने भी जो बहुत अच्छी हुआ करती थी, अपने ही बच्चों के मांस को पकाया था। वे बच्चे अपनी ही माँओं का आहार बने। ऐसा तब हुआ था जब मेरे लोगों का विनाश हुआ था।
“यह राष्ट्र तुम्हारे सभी नगरों को घेर लेगा। तुम अपने नगरों के चारों ओर ऊँची और दृढ़ दीवारों पर भरोसा रखते हो। किन्तु तुम्हारे देश में ये दीवारें सर्वत्र गिर जाएंगी। हाँ, वह राष्ट्र तुम्हारे उस देश के सभी नगरों पर आक्रमण करेगा जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें दे रहा है।
जब तक तुम्हारा शत्रु तुम्हारे नगर का घेरा डाले रहेगा तब तक तुम्हारी बड़ी हानि होगी। तुम इतने भूखे होगे कि अपने बच्चों को भी खा जाओगे। तुम अपने पुत्र और पुत्रियों का माँस खाओगे जिन्हें यहोवा तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हे दिया है।
वह अपने ही गर्भ की झिल्ली को खायेगी और उस बच्चे को भी जिसे वह जन्म देगी। वह उन्हें गुप्त रूप से खायेगी। क्यों? क्योंकि वहाँ कोई भी भोजन नहीं बचा है। यह तब होगा जब तुम्हारा शत्रु तुम्हारे नगरों के विरुद्ध आयेगा और बहुत अधिक कष्ट पहुँचायेगा।