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क्रॉस रेफरेंस
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2 राजाओं 25:25

पवित्र बाइबल

किन्तु सातवें महीने राजा के परिवार का एलीशामा का पौत्र व नतन्याह का पुत्र इश्माएल दस पुरुषों के साथ आया और गदल्याह को मार डाला। इश्माएल और उसके दस आदमियों ने मिस्पा में गदल्याह के साथ जो यहूदी और कसदी थे, उन्हें भी मार डाला।

अध्याय देखें प्रतिलिपि

8 क्रॉस रेफरेंस  

अहज्याह की माँ अतल्याह ने देखा कि उसका पुत्र मर गया। तब वह उठी और उसने राजा के पूरे परिवार को मार डाला।

तब गदल्याह ने इन सेना के सेनापतियों और उनके आदमियों को वचन दिया। गदल्याह ने उनसे कहा, “बाबेल के अधिकारियों से डरो नहीं। इस देश में रहो और बाबेल के राजा की सेवा करो। तब तुम्हारे साथ सब कुछ ठीक रहेगा।”

तब कारेह के पुत्र योहानान ने मिस्पा में गदल्याह से गुप्त वार्ता की। योहानान ने गदल्याह से कहा, “मुझे जाने दो और नतन्याह के पुत्र इश्माएल को मार डालने दो। कोई भी व्यक्ति इस बारे में नहीं जानेगा। हम लोग इश्माएल को तुम्हें मारने नहीं देंगे। वह यहूदा के उन सभी लोगों को जो तुम्हारे पास इकट्ठे हुए हैं, विभिन्न देशों में फिर से बिखेर देगा और इसका यह अर्थ होगा कि यहूदा के थोड़े से बचे—खुचे लोग भी नष्ट हो जायेंगे।”

सातवें महीने में नतन्याह (एलीशामा का पुत्र) का पुत्र इश्माएल, अहीकाम के पुत्र गदल्याह के पास आया। इश्माएल अपने दस व्यक्तियों के साथ आया। वे लोग मिस्पा नगर में आए थे। इश्माएल राजा के परिवार का सदस्य था। वह यहूदा के राजा के अधिकारियों में से एक था। इश्माएल और उसके लोगों ने गदल्याह के साथ खाना खाया।

जब वे साथ भोजन कर रहे थे तभी इश्माएल और उसके दस व्यक्ति उठे और अहीकाम के पुत्र गदल्याह को तलवार से मार दिया। गदल्याह वह व्यक्ति था जिसे बाबुल के राजा ने यहूदा का प्रशासक चुना था।

इश्माएल ने यहूदा के उन सभी लोगों को भी मार डाला जो मिस्पा में गदल्याह के साथ थे। इश्माएल ने उन कसदी सैनिकों को भी मार डाला जो गदल्याह के साथ थे।

“याजकों और इस देश के अन्य लोगों से यह कहो: जो उपवास और शोक पिछले सत्तर वर्ष से वर्ष के पाँचवें और सातवें महीने में तुम करते आ रहे हो, क्या वह उपवास, सच ही, मेरे लिये थानहीं!

सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “शोक मनाने और उपवास के विशेष दिन चौथे महीने, पाँचवें महीने, सातवें महीने और दसवें महीने में हैं। वे शोक के दिन प्रसन्नता के दिन में बदल जाने चाहिये। वे अच्छे और प्रसन्ननता के दिन में बदल जाने चाहिये। वो अच्छे और प्रसन्ननता के पवित्र दिन होंगे और तम्हें सत्य और शान्ति से प्रेम करना चाहिये!”




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