इसलिये अश्शूरियों द्वारा शोमरोन से लाये हुए याजकों में से एक बेतेल में रहने आया। उस याजक ने लोगों को सिखाया कि उन्हें यहोवा का सम्मान कैसे करना चाहिये।
इसलिए अश्शूर के राजा ने यह आदेश दियाः “तुमने कुछ याजकों को शोमरोन से लिया था। मैंने जिन याजकों को बन्दी बनाया था उनमें से एक को शोमरोन को वापस भेज दो। उस याजक को जाने और वहाँ रहने दो। तब वह याजक लोगों को उस देश के देवता के नियम सिखा सकता है।”
किन्तु उन सभी राष्ट्रों ने निजी देवता बनाए और उन्हें शोमरोन के लोगों द्वारा बनाए गए उच्च स्थानों पर पूजास्थलों में रखा। उन राष्ट्रों ने यही किया, जहाँ कहीं भी वे बसे।
मेरा स्वामी कहता है, “ये लोग कहते हैं कि वे मुझे प्रेम करते हैं। अपने मुख के शब्दों से वे मेरे प्रति आदर व्यक्त करते हैं। किन्तु उनके मन मुझ से बहुत दूर है। वह आदर जिसे वे मेरे प्रति दिखाते हैं, बस कोरे मानव नियम हैं जिन्हें उन्होंने कंठ कर रखा हैं।