लोगों के प्रमुख अपने सेवकों को पानी लाने के लिये भेजते हैं। सेवक कण्डों पर जाते हैं। किन्तु वे कछ भी पानी नहीं पैंते। सेवक खाली बर्तन लेकर लौटते हैं। अत: वे लज्जित और परेशान हैं। वे अपने सिर को लज्जा से ढक लेते हैं।
हे एप्रैम, तुम ही बताओ कि मैं (यहोवा) तुम्हारे साथ क्या करूँ? हे यहूदा, तुम्हारे साथ मुझे क्या करना चाहिये? तुम्हारी आस्था भोर की धुंध सी है। तुम्हारी आस्था उस ओस की बूँद सी है जो सुबह होते ही कही चली जाती है।
ताकि हम ऐसे बच्चे ही न बने रहें जो हर किसी ऐसी नयी शिक्षा की हवा से उछाले जायें, जो हमारे रास्ते में बहती है, लोगों के छलपूर्ण व्यवहार से, ऐसी धूर्तता से, जो ठगी से भरी योजनाओं को प्रेरित करती है, इधर-उधर भटका दिये जाते हैं।
क्योंकि परमेश्वर ने पाप करने वाले दूतों तक को जब नहीं छोड़ा और उन्हें पाताल लोक की अन्धेरे से भरी कोठरियों में डाल दिया कि वे न्याय के दिन तक वहीं पड़े रहें।
मैं तुम्हें यह भी याद दिलाना चाहता हूँ कि जो दूत अपनी प्रभु सत्ता को बनाए नहीं रख सके, बल्कि जिन्होंने अपने निजी निवास को उस भीषण दिन के न्याय के लिए अंधकार में जो सदा के लिए हैं बन्धनों मे रखा है।