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क्रॉस रेफरेंस
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2 तीमुथियुस 3:3

पवित्र बाइबल

प्रेम रहित, क्षमा-हीन, निन्दक, असंयमी, बर्बर, जो कुछ अच्छा है उसके विरोधी,

अध्याय देखें प्रतिलिपि

31 क्रॉस रेफरेंस  

उनका क्रोध एक अभिशाप है। ये अत्याधिक कठोर और अपने पागलपन में क्रोधित हैं। याकूब के देश में इनके परिवारों की अपनी भूमि नहीं होगी। वे पूरे इस्राएल में फैलेंगे।”

वह उन लोगों का आदर नहीं करता जो परमेश्वर से घृणा रखते हैं। और वह उन सभी का सम्मान करता है, जो यहोवा के सेवक हैं। ऐसा मनुष्य यदि कोई वचन देता है तो वह उस वचन को पूरा भी करता है, जो उसने दिया था।

तो क्या मैं सचमुच ही कोई कीड़ा हूँ, जो लोग मुझसे लज्जित हुआ करते हैं और मुझसे घृणा करते हैं

उस से घृणा की गई थी और उसके मित्रों ने उसे छोड़ दिया था। वह एक ऐसा व्यक्ति था जो पीड़ा को जानता था। वह बीमारी को बहुत अच्छी तरह पहचानता था। लोग उसे इतना भी आदर नहीं देते थे कि उसे देख तो लें। हम तो उस पर ध्यान तक नहीं देते थे।

वे ही लोग जो पहले तुझको दु:ख दिया करते थे, तेरे सामने झुकेंगे। वे ही लोग जो तुझसे घृणा करते थे, तेरे चरणों में झुक जायेंगे। वे ही लोग तुझको कहेंगे, ‘यहोवा का नगर,’ ‘सिय्योन नगर इस्राएल के पवित्र का है।’

“जब उन राज्यों का अंत निकट होगा, तब वहाँ एक बहुत साहसी और क्रूर राजा होगा। यह राजा बहुत मक्कार होगा। ऐसा उस समय घटेगा जब पापियों की संख्या बढ़ जायेगी।

“भाई अपने भाईयों को पकड़वा कर मरवा डालेंगे, माता-पिता अपने बच्चों को पकड़वायेंगे और बच्चे अपने माँ-बाप के विरुद्ध हो जायेंगे। वे उन्हें मरवा डालेंगे।

फिर आत्मा यीशु को जंगल में ले गया ताकि शैतान के द्वारा उसे परखा जा सके।

“शिष्यों! जो कोई तुम्हें सुनता है, मुझे सुनता है, और जो तुम्हारा निषेध करता है, वह मेरा निषेध करता है। और जो मुझे नकारता है, वह उसे नकारता है जिसने मुझे भेजा है।”

अब जब पैसे के पुजारी फरीसियों ने यह सब सुना तो उन्होंने यीशु की बहुत खिल्ली उड़ाई।

यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “क्या तुम बारहों को मैंने नहीं चुना है? फिर भी तुममें से एक शैतान है।”

वे हर तरह के अधर्म, पाप, लालच और वैर से भर गये। वे डाह, हत्या, लड़ाई-झगड़े, छल-छद्म और दुर्भावना से भरे हैं। वे दूसरों का सदा अहित सोचते हैं। वे कहानियाँ घड़ते रहते हैं।

वे मुढ़, वचन-भंग करने वाले, प्रेम-रहित और निर्दय हैं।

अपने आप को प्रार्थना में समर्पित करने के लिये थोड़े समय तक एक दूसरे से समागम न करने की आपसी सहमती को छोड़कर, एक दूसरे को संभोग से वंचित मत करो। फिर आत्म-संयम के अभाव के कारण कहीं शैतान तुम्हें किसी परीक्षा में न डाल दे, इसलिए तुम फिर समागम कर लो।

किन्तु यदि वे अपने आप पर काबू न रख सकें तो उन्हें विवाह कर लेना चाहिये; क्योंकि वासना की आग में जलते रहने से विवाह कर लेना अच्छा है।

इसलिए जो इस शिक्षा को नकारता है वह किसी मनुष्य को नहीं नकार रहा है बल्कि परमेश्वर को ही नकार रहा है। उस परमेश्वर को जो तुम्हें अपनी पवित्र आत्मा भी प्रदान करता है।

इसी प्रकार स्त्रियों को भी सम्मान के योग्य होना चाहिए। वे निंदक नहीं होनी चाहिए बल्कि शालीन और हर बात में विश्वसनीय होनी चाहिए।

बल्कि उसे तो अतिथियों की आवभगत करने वाला, नेकी को चाहने वाला, विवेकपूर्ण, धर्मी, भक्त तथा अपने पर नियन्त्रण रखने वाला होना चाहिए।

इसी प्रकार वृद्ध महिलाओं को सिखाओ कि वे पवित्र जनों के योग्य उत्तम व्यवहार वाली बनें। निन्दक न बनें तथा बहुत अधिक दाखमधु पान की लत उन्हें न हो। वे अच्छी-अच्छी बातें सिखाने वाली बनें

किन्तु तुमने तो उस निर्धन व्यक्ति के प्रति घृणा दर्शायी है। क्या ये धनिक व्यक्ति वे ही नहीं हैं, जो तुम्हारा शोषण करते हैं और तुम्हें कचहरियों में घसीट ले जाते हैं?

ये सदा किसी ऐसी स्त्री की ताक में रहते हैं जिसके साथ व्यभिचार किया जा सके। इस प्रकार इनकी आँखें पाप करने से बाज़ नहीं आतीं। ये अस्थिर लोगों को पाप के लिए फुसला लेते हैं। इनके मन पूरी तरह लालच के आदी हैं। ये अभिशाप के पुत्र हैं।

ये झूठे उपदेशक उन्हें छुटकारे का वचन देते हैं। क्योंकि कोई व्यक्ति जो उसे जीत लेता है, वह उसी का दास हो जाता है।

सबसे पहले तुम्हें यह जान लेना चाहिए कि अंतिम दिनों में स्वेच्छाचारी हँसी उड़ाने वाले हँसी उड़ाते हुए आयेंगे

ये लोग चुगलखोर हैं और दोष ढूँढने वाले हैं। ये अपनी इच्छाओं के दास हैं तथा अपने मुँह से अहंकारपूर्ण बातें बोलते हैं। अपने लाभ के लिए ये दूसरों की चापलूसी करते हैं।

वे तुमसे कहा करते थे कि “अंत समय में ऐसे लोग होंगे जो परमेश्वर से जो कुछ संबंधित होगा उसकी हँसी उड़ाया करेंगे।” तथा वे अपवित्र इच्छाओं के पीछे-पीछे चला करेंगे।

दूसरे पशु को यह शक्ति दी गई थी कि वह पहले पशु की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा करे ताकि पहले पशु की वह मूर्ति न केवल बोल सके बल्कि उन सभी को मार डालने का आदेश भी दे सके जो इस मूर्ति की उपासना नहीं करते।

उन्होंने संत जनों का और नबियों का लहू बहाया। तू न्यायी है तूने उनके पीने को बस रक्त ही दिया, क्योंकि वे इसी के योग्य रहे।”

मैंने देखा कि वह स्त्री संत जनों और उन व्यक्तियों के लहू पीने से मतवाली हुई है। जिन्होंने यीशु के प्रति अपने विश्वास की साक्षी को लिए हुए अपने प्राण त्याग दिए। उसे देखकर मैं बड़े अचरज में पड़ गया।




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