रात दिन अपनी प्रार्थनाओं में निरन्तर तुम्हारी याद करते हुए, मैं उस परमेश्वर का धन्यवाद करता हूँ, और उसकी सेवा अपने पूर्वजों की रीति के अनुसार शुद्ध मन से करता हूँ।
“मैं एक यहूदी व्यक्ति हूँ। किलिकिया के तरसुस में मेरा जन्म हुआ था और मैं इसी नगर में पल-पुस कर बड़ा हुआ। गमलिएल के चरणों में बैठ कर हमारे परम्परागत विधान के अनुसार बड़ी कड़ाई के साथ मेरी शिक्षा-दीक्षा हुई। परमेश्वर के प्रति मैं बड़ा उत्साही था। ठीक वैसे ही जैसे आज तुम सब हो।
“किन्तु मैं तेरे सामने यह स्वीकार करता हूँ कि मैं अपने पूर्वजों के परमेश्वर की आराधना अपने पंथ के अनुसार करता हूँ, जिसे ये एक पंथ कहते हैं। मैं हर उस बात में विश्वास करता हूँ जिसे व्यवस्था बताती है और जो नबियों के ग्रन्थों में लिखी है।
हमें इसका गर्व है कि हम यह बात साफ मन से कह सकते हैं कि हमने इस जगत के साथ और खासकर तुम लोगों के साथ परमेश्वर के अनुग्रह के अनुरूप व्यवहार किया है। हमने उस सरलता और सच्चाई के साथ व्यवहार किया है जो परमेश्वर से मिलती है न कि दुनियावी बुद्धि से।
यहूदी धर्म के पालने में मैं अपने युग के समकालीन यहूदियों से आगे था क्योंकि मेरे पूर्वजों से जो परम्पराएँ मुझे मिली थीं, उनमें मेरी उत्साहपूर्ण आस्था थी।
रात-दिन यथासम्भव लगन से हम प्रार्थना करते रहते हैं कि किसी प्रकार तुम्हारा मुँह फिर देख पायें और तुम्हारे विश्वास में जो कुछ कमी रह गयी है, उसे पूरा करें।
वह स्त्री जो वास्तव में विधवा है और जिसका ध्यान रखने वाला कोई नहीं है, तथा परमेश्वर ही जिसकी आशाओं का सहारा है वह दिन रात विनती तथा प्रार्थना में लगी रहती है।
और तुझे पता है कि तू बचपन से ही पवित्र शास्त्रों को भी जानता है। वे तुझे उस विवेक को दे सकते हैं जिससे मसीह यीशु में विश्वास के द्वारा छुटकारा मिल सकता है।
यदि मैं तुम्हारे लिए प्रार्थना करना बन्द कर देता हूँ तो यह मेरे लिए अपमानजनक होगा। यदि मैं तुम्हारे लिये प्रार्थना करना बन्द करता हूँ तो यह यहोवा के विरुद्ध पाप करना होगा। मैं तुम्हें वह शिक्षा दूँगा जो तुम्हारे लिये अच्छी व उचित है।